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उत्तराखंड- राष्ट्रपति शासन को कोर्ट में चुनौती

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने
नैनीताल हाई कोर्ट में इसे चुनौती देते हुए एक याचिका दायर
की है जिसे जज यूसी ध्यानी की पीठ की सुनवाई के लिए
स्वीकार कर लिया है.
कांग्रेस की ओर से अभिशेक मनु संघवी इस मामले की पैरवी कर रहे
हैं, दूसरी ओर कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायक सुप्रीम कोर्ट जाने
की तैयारी कर रहे हैं. इन विधायकों की सदस्यता स्पीकर ने
निरस्त कर दिया था.
राज्य में कांग्रेस के निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके
सहयोगियों ने रविवार देर रात राज्यपाल केके पॉल से लिखित में
ये दावा किया था कि कांग्रेस के पास बहुमत है.
उत्तराखंड में राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ जब 70 सदस्यों की
विधानसभा में कांग्रेस के 36 में से 9 विधायक बाग़ी हो गए.
विधानसभा में भाजपा के 28 सदस्यों हैं जिनमें से एक निलंबित हैं.
इसके अलावा विधानसभा में बसपा के दो, निर्दलीय विधायक
तीन और उत्तराखंड क्रांति दल का एक विधायक है.
बजट सत्र के दौरान विवाद तब पैदा हुआ जब भाजपा ने आरोप
लगाया कि बजट विधेयक पारित ही नहीं हुआ है क्योंकि कांग्रेस
के पास बहुमत ही नहीं है.
इसके बाद 28 मार्च को कांग्रेस सरकार को विश्वास मत हासिल
करना था लेकिन रविवार को ही केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लगा
दिया.
उधर कांग्रेस के बाग़ी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने
बीबीसी को बताया, "हम अकेले सरकार नहीं गिरा सकते थे, हम 9
लोग थे. हमने भारतीय जनता पार्टी का साथ लिया और सरकार
गिराई."
दूसरी तरफ बीजेपी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह
कोश्यारी ने बीबीसी से कहा, "हम तो कहते हैं कि कल ही चुनाव
हो जाए, कांग्रेस को डर हो सकता है, हमें किसी बात का डर नहीं
है."
कांग्रेस के बाग़ी नेता हरक सिंह रावत ने कहा है कि भारतीय
जनता पार्टी अगर सरकार बनाती है तो वो उसको पूरा सहयोग
करेंगे.
भारतीय जनता पार्टी ने संकेत दिया है कि वो उत्तराखंड में
सरकार बना सकती है, जबकि कांग्रेस उत्तराखंड के राजनीतिक
घमासान पर अदालत जाने की तैयारी में है.