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बिहार : पूूर्व राजद सांसद शहाबुद्दीन भागलपुर से जेल से हुए रिहा

तेजाब कांड में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन 13 साल बाद शनिवार की सुबह जमानत पर जेल से रिहा हो गए। जेल से बाहर आकर शहाबुद्दीन ने कहा कि कोई मुझसे डरा हुआ नहीं है। मुझे आतंक का पर्याय कहना गलत है। 13 साल बाद अपने घर जा रहा हूं। पिछले 10 साल से मैंने किसी से मुलाकात नहीं की है और न कोई पब्लिक मीटिंग की है।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में शहाबुद्दीन ने कहा कि यह मामला किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आया था वहीं बताएंगे या सीबीआई बताएगी। शहाबुद्दीन ने कहा कि वह घर जाने के बाद राजदेव के परिवार से मिलेंगे।
शनिवार सुबह करीब 7:15 बजे शहाबुद्दीन जेल से बाहर आए। इस मौके पर हजारों की तादात में उनके समर्थक जेल के पास जुटे थे। जैसे से शहाबुद्दीन गेट से बाहर आए भगदड़ मच गई। उनके पास जाने के लिए लोग आगे बढ़ने लगे।
इस दौरान कुछ मीडियाकर्मियों के कैमरे गिर गए और उन्हें हल्की चोट भी आई। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने हल्के बल का प्रयोग किया। हाथों में बधाई का पोस्टर लिए लोग शनिवार सुबह से ही जेल के पास खड़े थे। शहाबुद्दीन यहां से 38 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान के लिए चले हैं। उनके साथ हजारों लोग भी हैं।
भागलपुर जेल में शहाबुद्दीन ने बांड भरा
शहाबुद्दीन ने गुरुवार को जमानत की शर्त वाले बंध पत्र पर अपने दस्तखत कर दिए। पूर्व राजद सांसद के वकील और नजदीकी उक्त बेल बांड पेपर को लेकर सिवान के लिए निकल गए। पूर्व सांसद के नजदीकी समर्थक मुहम्मद शहरू समेत लगभग दो दर्जन करीबी समर्थकों के सिवान, वैशाली और पटना से गुरुवार को भागलपुर पहुंचने की चर्चा है। यहां के होटलों के कमरे पूर्व सांसद के समर्थक ने बुक कर रखे हैं।
शुक्रवार को सिवान से जारी होगा रिहाई का आदेश
सिवान में पूर्व सांसद के अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने कहा कि शनिवार को शहाबुद्दीन जेल से रिहा हो जाएंगे। उच्च न्यायालय से मिली जमानत के आदेश की प्रति आ चुकी है। इसके आलोक में शुक्रवार को बेल बांड अदालत में दाखिल किया गया। साथ ही रिलीज आर्डर भी मिल गया। इसके बाद कारा प्रशासन ने रिलीज आर्डर भागलपुर सेंट्रल कारा भेजा।
19 मई भेजे गए थे भागलपुर
शहाबुद्दीन को सिवान जेल से 19 मई को छह माह के प्रशासनिक आदेश पर भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा में लाया गया था। यहां उनकी कमर में दर्द की शिकायत बाद मेडिकल बोर्ड की स्वीकृति से दिल्ली के एम्स में उपचार के लिए 29 जून को कड़ी सुरक्षा घेरे में भेजा गया था। उपचार बाद उन्हें प्रशासनिक आदेश की अवधि तक भागलपुर जेल में रहने के लिए वापस लाया गया।

Reliance Gio 4g: मोबाइल डेटा महासंग्राम के नियम बदलेगा जियो

रिलायंस जियो ने बाज़ार में खलबली मचा दी है.
अगले हफ़्ते से लोगों को ये सर्विस तीन महीने के लिए मुफ़्त
मिलेगी.
अगले तीन महीने के लिए फ्री कॉल और फ्री डेटा.
साथ में जियो का सिम और उसके कई सर्विस भी फ्री.
समय कितना बदल गया है उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा
सकता है कि 1990 के दशक में जब कई कंपनियों ने अपनी मोबाइल
सर्विस शुरू की थी तब सिम कार्ड के लिए 1260 रुपये अलग से देने
पड़ते थे.
अब वो सिम कार्ड फ्री तो मिल ही रहा है उसके साथ कई सर्विस
भी फ्री हैं.
लेकिन जियो के लॉन्च के बाद मोबाइल फ़ोन और मोबाइल इंटरनेट
के बाज़ार के कई पुराने नियम बदल सकते हैं.
अभी तक मोबाइल फ़ोन पर कॉल करने के लिए लोग सबसे सस्ते
प्लान ढूंढते थे.
रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद कॉल रेट देखने की ज़रुरत ही नहीं
होगी.
स्मार्टफोन पर डेटा का इस्तेमाल भारत के बाज़ार में बहुत महंगा
था और सभी मोबाइल कंपनियों के लिए प्रीपेड कार्ड पर महीने
के एक जीबी डेटा के लिए क़रीब 250 रुपये देने पड़ते थे.
जियो इसके लिए सिर्फ़ 50 रुपये लेने की बात कर रहा है यानी
पाँच गुना सस्ता.
जियो लोगों से सिर्फ़ डेटा के इस्तेमाल के लिए पैसे लेगा.
फिलहाल, तीन महीने तो डेटा भी फ्री हैं, जियो को उम्मीद है
कि बहुत बड़ी तादाद में ग्राहक उसे मिलेंगे.
फिक्स्ड लाइन और मोबाइल ब्रॉडबैंड के डेटा के इस्तेमाल की
सीमा होती है.
एयरटेल फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड पर 16 एमबी स्पीड वाली सर्विस
लेने पर डेटा की सीमा को पिछले महीने के 25 जीबी से बढ़ाकर
45 जीबी कर दिया गया है.
रिलायंस जियो पर मोबाइल डेटा की सीमा, इसके मुक़ाबले 75
जीबी है.
हो सकता है फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करने वाले ग्राहक
भी मोबाइल ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करने की सोचने लगें.
कुछ इक्का-दुक्का मौक़ों को छोड़ कर, भारत में मोबाइल
कंपनियों ने हैंडसेट के साथ नई स्कीम नहीं शुरू की है.
जियो ने इसे बदलने की कोशिश की है और कई सस्ते 4जी हैंडसेट
ख़रीदने का विकल्प दिया है.
16 कंपनियों के हैंडसेट में से आप अपना मनपसंद मोबाइल चुन सकते हैं.
देश में 30 करोड़ से ज़्यादा लोग मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं,
उसके बावजूद ये सेवा बहुत बड़ी आबादी की पहुंच से बाहर थी.
डिजिटल इंडिया के सफल होने के लिए मोबाइल इंटरनेट सर्विस
की क़ीमतों को कम होना ज़रूरी है जो जियो लॉन्च के बाद, अब
लगता है, ज़रूर होगा.
देश में 10 करोड़ या उससे ज़्यादा मोबाइल सब्सक्राइबर वाली
पांच कंपनियां हैं- एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस कम्युनिकेशन
(अनिल अंबानी), बीएसएनएल और आइडिया.
बीएसएनएल को छोड़कर, सभी के लिए मोबाइल इंटरनेट की दरें
लगभग एक जैसी ही रही हैं. कम्पटीशन नहीं होने के कारण इन
क़ीमतों का कम होना संभव नहीं था.
बाक़ी कंपनियों की कोशिश के बाद भी करोड़ों लोग तक
मोबाइल इंटरनेट नहीं पहुंच सका था. जियो के आने से वो अब संभव
होता दिख रहा है.
2008 में नयी कंपनियों को मोबाइल सर्विस के लिए लाइसेंस
मिलने पर कुछ ऐसा ही हुआ था.
लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 122 टेलीकॉम लाइसेंस को रद्द कर
दिया था जिसके कारण टेलीकॉम कंपनियों को थोड़ी राहत
मिली थी.
टाटा डोकोमो के प्रति सेकंड बिलिंग प्लान से भी कंपनियों पर
थोड़ा असर हुआ था.
लेकिन ये दूसरी बार हो रहा है जब मोबाइल सेवा में रिलायंस के
आने से बाज़ार में कॉल करने की क़ीमतों में भरी गिरावट होगी.
2001 में रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपनी सर्विस जब लॉन्च की थी
तो उसके मानसून हंगामा स्कीम के कारण काफ़ी पसंद किया गया
था.
इसमें 501 रुपये में लोगों के लिए जितने भी चाहें लंबी दूरी के कॉल
करना संभव था.
लेकिन अंबानी भाइयों के बीच सभी कंपनियों के बंट जाने के बाद
रिलायंस कम्युनिकेशन की कमान अनिल अंबानी के पास चली
गयी थी.

Reliance Geo 4G की डेटागीरी: वॉइस कॉलिंग, रोमिंग, एसएमएस फ्री

रिलांयस जियो के ग्राहकों को देश में किसी भी मोबाइल नेटवर्क पर कॉल और एसएमएस के लिए कभी भी पैसे नहीं देने होंगे। यानी, जियो कस्टमर्स के लिए लोकल और एसटीडी वॉइस कॉलिंग हमेशा के लिए फ्री होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के 42वें एजीएम को संबोधित करते हुए कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि रिलायंस जियो अपने सभी कस्टमर्स को सभी नेटवर्क्स पर हमेशा के लिए देशभर में फ्री वॉइस कॉलिंग की सुविधा देगा। मुकेश अंबानी ने कहा कि सभी यूजर्स को 5 सितंबर 2016 से 31 दिसंबर 2017 तक सारे जियो ऑफर्स मुफ्त में मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में ग्राहकों से या तो डेटा के पैसे वसूले जाते हैं या फिर कॉलिंग के। भारत में भी पहली बार दोनों के पैसे नहीं वसूलने का क्रांतिकारी फैसला किया गया है। उन्होंने कहा, 'हम अपने ग्राहकों से सिर्फ डेटा के ही पैसे लेंगे।' अब भारतीयों को कभी भी डेटा को टर्न ऑफ नहीं करना होगा। वह ज्यादा से ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर सकते हैं। जितना डेटा यूज करेंगे, उतना सस्ता पड़ेगा। मुकेश अंबानी ने कई और ऐसी घोषणाएं कीं जो वाकई देश में इंटरनेट क्रांति लाने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हैं। नीचे देखिए, क्या-क्या ऑफर्स मिलनेवाले हैं जियो के ग्राहकों को...

जियो टैरिफ
ग्राहकों को सिर्फ डेटा का पैसा देना होगा। कॉल और एसएमएस का पैसा कभी नहीं देना होगा।
पूरे देश में रोमिंग चार्ज भी जीरो। यानी, रोमिंग के नाम पर कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा।
इंटरनैशनल कॉलिंग के लिए जियो ऐप पर अनलिमिटेड सब्सक्रिप्शन का ऑफर।
जियो डेटा बेस रेट 10 गुना सस्ता होगा। अभी 50 रुपये प्रति जीबी डेटा। ज्यादा इस्तेमाल करने पर यह 25 रुपये प्रति जीबी तक आ सकता है।
रात में अनलिमिटेड 4G डेटा बिल्कुल फ्री मिलेगा।
जियो पर कभी ब्लैक आउट डे नहीं। यानी किसी त्योहार या किसी खास दिन पर एसएमएस महंगा नहीं होगा।
स्डूटेंड्स को आईडी कार्ड दिखाने पर 25 प्रतिशत डेटा ज्यादा मिलेगा।

अन्य ऑफर्स
5 सितंबर 2016 से 31 दिसंबर 2017 तक जियो ऑफर्स बिल्कुल फ्री होंगे।
रिलायंस जियो दिसंबर तक फ्री डेटा और फ्री कॉल की सुविधा देगा।
जियो ऑन डिमांड हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय HD फिल्में।
जियो भारत का पहला एक्सक्लूसिव 4G एलटीई नेटवर्क प्रवाइडर है जहां सिर्फ और सिर्फ 4G नेटवर्क ही मिलेगा।
4G के नाम पर कभी 3G या 2G स्पीड नहीं देगा।
4G स्मार्टफोन मात्र 2,999 रुपये में शुरू होगा।
जो लोग 2G या 3G मोबाइल नहीं छोड़ना चाहते हैं उनके लिए महज 1,999 रुपये में जियोफाई राउटर आ रहा है।
जियो TV से 300 लाइव चैनल देख सकते हैं।
31 दिसंबर 2017 तक जियो ऑफर्स फ्री होंगे।
ईकेवाईसी में कुछ दिनों में लोग आधार कार्ड के साथ जियो कार्ड ले सकेंगे और 15 मिनट में कनेक्शन ऐक्टिव हो जाएगा।
अंबानी ने कहा, 'हम भारत को सबसे ऊंची डेटा दरों वाले देश से दुनिया के सबसे सस्ते डेटा वाले देश में तब्दील कर देंगे।'

क्या होगा इससे
जियो के बाद भारत की तस्वीर बदलेगी और इंटरनेट स्पीड के लिहाज से टॉप 10 रैंकिंग में आ जाएगा।
अभी जियो की पहुंच देश के 18,000 शहरों और गांवों तक है।
मार्च 2017 तक हम भारत की 90 प्रतिशत आबादी तक जियो की पहुंच होगी।
अंबानी ने कहा, 'डेटा डिजिटल लाइफ का ऑक्सिजन है और ऑक्सिजन की कभी कमी नहीं होनी चाहिए। जियो डिजिटल लाइफ का ऑक्सिजन होगा।'

महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए शरीयत जैसे कानून की जरूरत

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे का कहना है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराधों को रोकने के लिए शरीयत जैसे कानून की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के हाथों और पैरों को काट डालना चाहिए जो नाबालिगों और महिलाओं से बलात्कार और उनकी हत्या करते हैं।

यह बात उन्होंने अहमदनगर में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप कर उसकी हत्या करने के मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहीं। उन्होंने आज जिला मुख्यालय से करीब 76 किलोमीटर दूर करजात तहसील स्थित कोपर्डी गांव का दौरा किया और हवस की भेंट चढ़ी युवती के परिजनों से भी मुलाकात की। इस मामले में उन्होंने भाजपा और शिवसेना की सरकार को भी आड़े हाथों लिया।

उन्होंने कहा कि समाज विरोधी तत्व आतंक की स्थिति पैदा कर रहे हैं और इसके लिए कानून को सख्त से सख्त बनाने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के गलत इस्तेमाल पर नियंत्रण के लिए आवश्यक बदलाव का भी सुझाव दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ यहां हुई बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम निश्चित रूप से उन अपराधियों के हाथों और पैरों को काट डालें जो नाबालिगों और महिलाओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्या करते हैं। उन्होंने साफ कहा कि हमारी सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं में फैसला आने में अनावश्यक रूप से लंबा वक्त लग जाता है और इससे परोक्ष रूप से अपराधियों का हौसला बढ़ता है।

गौरतलब है कि अहमदनगर जिले के कोपर्डी गांव में 13 जुलाई को तीन लोगों ने 15 वर्षीय एक लड़की के साथ बर्बर तरीके से बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का नतीजा हैं और मौजूदा सरकार खुद को पिछली कांग्रेस-राकांपा नीत सरकार से भी बदतर साबित कर रही है।

जम्मू-कश्मीर में तनाव बरकरार, अब तक 41 लोगों की मौत

हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। राज्य में भड़की हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों की गर्मी की छुट्टियां एक और हफ्ता बढ़ाने का फैसला लिया गया है। कश्मीर में 17 दिन की गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल और कॉलेज आज खुलने थे। अगर हालात सामान्य रहे तो 25 जुलाई को यह संस्थान खुल जाऐंगे। हुर्रियत ने तीन दिन की हड़ताल का एलान किया था जिसका आज आखिरी दिन है।

कश्मीर मे बिगड़े हालात पर काबू पाने के लिए केद्र सरकार केद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो हजार अतिरिक्त जवान घाटी भेज रही है। सीआरपीएफ की 20 नई कंपनियां हालात सामान्य बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को सहयोग देगी। इससे पहले भी केद्र सरकार की ओर से 2800 सीआरपीएफ जवान कश्मीर भेजे गए है।
केद्र सरकार कश्मीर के हालात को लेकर बहुत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री राजनाथ सिंह स्थिति पर पूरी नजर रखे गए है। ऐसे मे हालात सामान्य करने के लिए केद्र की ओर से राज्य को पूरा सहयोग दिया जा रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रो के अनुसार नई कंपनियां मे कुछ देश विरोधी तत्वो के मंसूबो को नाकाम बनाने के लिए रोड़ ओपनिंग कमेटियो की भूमिका भी निभाएंगी। राज्य मे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ की 60 बटालियन पहले से तैनात है। हर बटालियन मे एक हजार के करीब जवान है।
कांग्रेस का मानना है कि कश्मीर मे सुरक्षाबलो ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बेतहाशा बल प्रयोग किया है, जो नही होना चाहिए था। कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी के साथ कश्मीर के हालात का जायजा लेने रविवार को श्रीनगर पहुंचे पूर्व केद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम सुरक्षाबलो के खिलाफ नही है, लेकिन उन्हे किसी के कत्ल की आजादी नही दी जा सकती। केद्र को कश्मीर मे पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। उन्होने ¨हसक प्रदर्शनो मे 44 लोगो की मौत और लगातार कफ्र्यू से पैदा हालात के लिए राज्य व केद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक बुलाने पर जोर दिया।

अंबिका सोनी और सलमान खुर्शीद ने रविवार को श्रीनगर मे संयुक्त पत्रकार वार्ता मे कहा कि कश्मीर के हालात वाकई चिंताजनक है। उन्होने कहा कि हम मौजूदा हालात पर सियासत करने नही आए है और न हमारा ऐसा इरादा है। केद्र को पहले ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर हालात सामान्य बनाने का प्रयास करना चाहिए था, लेकिन अभी भी देर नही हुई है।

जम्मू-कश्मीर में तनाव बरकरार, अब तक 41 लोगों की मौत

हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। राज्य में भड़की हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों की गर्मी की छुट्टियां एक और हफ्ता बढ़ाने का फैसला लिया गया है। कश्मीर में 17 दिन की गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल और कॉलेज आज खुलने थे। अगर हालात सामान्य रहे तो 25 जुलाई को यह संस्थान खुल जाऐंगे। हुर्रियत ने तीन दिन की हड़ताल का एलान किया था जिसका आज आखिरी दिन है।

कश्मीर मे बिगड़े हालात पर काबू पाने के लिए केद्र सरकार केद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो हजार अतिरिक्त जवान घाटी भेज रही है। सीआरपीएफ की 20 नई कंपनियां हालात सामान्य बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को सहयोग देगी। इससे पहले भी केद्र सरकार की ओर से 2800 सीआरपीएफ जवान कश्मीर भेजे गए है।
केद्र सरकार कश्मीर के हालात को लेकर बहुत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री राजनाथ सिंह स्थिति पर पूरी नजर रखे गए है। ऐसे मे हालात सामान्य करने के लिए केद्र की ओर से राज्य को पूरा सहयोग दिया जा रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रो के अनुसार नई कंपनियां मे कुछ देश विरोधी तत्वो के मंसूबो को नाकाम बनाने के लिए रोड़ ओपनिंग कमेटियो की भूमिका भी निभाएंगी। राज्य मे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ की 60 बटालियन पहले से तैनात है। हर बटालियन मे एक हजार के करीब जवान है।
कांग्रेस का मानना है कि कश्मीर मे सुरक्षाबलो ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बेतहाशा बल प्रयोग किया है, जो नही होना चाहिए था। कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी के साथ कश्मीर के हालात का जायजा लेने रविवार को श्रीनगर पहुंचे पूर्व केद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम सुरक्षाबलो के खिलाफ नही है, लेकिन उन्हे किसी के कत्ल की आजादी नही दी जा सकती। केद्र को कश्मीर मे पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। उन्होने ¨हसक प्रदर्शनो मे 44 लोगो की मौत और लगातार कफ्र्यू से पैदा हालात के लिए राज्य व केद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक बुलाने पर जोर दिया।

अंबिका सोनी और सलमान खुर्शीद ने रविवार को श्रीनगर मे संयुक्त पत्रकार वार्ता मे कहा कि कश्मीर के हालात वाकई चिंताजनक है। उन्होने कहा कि हम मौजूदा हालात पर सियासत करने नही आए है और न हमारा ऐसा इरादा है। केद्र को पहले ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर हालात सामान्य बनाने का प्रयास करना चाहिए था, लेकिन अभी भी देर नही हुई है।

NSG पर भारत को चीन ने दिया झटका, सारी कोशिश नाकाम

न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में एंट्री पर भारत चीन का
समर्थन पाने के लिए हर कोशिश करने में जुटा है लेकिन चीन ने
सोमवार को दो टूक कह दिया कि इस हफ्ते 48 देशों वाले इस ग्रुप
की होने वाली मीटिंग में इंडिया को शामिल करने की बात
अजेंडा में शामिल नहीं है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि साउथ कोरिया की राजधानी
सोल में इस हफ्ते होने वाली एनएसजी की बैठक के अजेंडे में भारत
को एनएसजी की सदस्यता देने का मुद्दा शामिल नहीं है। विदेश
सचिव एस जयशंकर के 16-17 जून के चीन दौरे और सुषमा के बयान के
बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की
होवा चुनिइंग ने कहा कि 24 जून से सोल में होने जा रही एनएसजी
की बैठक के अजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने
का मुद्दा शामिल नहीं है।
एक दिन पहले भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि
एनएसजी में भारत की एंट्री पर चीन की चिंता उसकी प्रक्रिया
को लेकर है। चीन एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर रहा
है। चीन का कहना है कि बिना न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफिरेशन
ट्रीटी (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए किसी भी देश की इस समूह
में एंट्री नहीं हो सकती। एनएसजी का गठन 1974 में इंडिया के पहले
परमाणु परीक्षण के बाद हुआ था। इसका लक्ष्य था कि दुनिया में
भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोका जाए।

एनएसजी मेंबर्स के भीतर भारत की एंट्री को लेकर मतभेद है।
एनएसजी समूह के कई देशों का कहना है कि यदि भारत को इसमें
एंट्री मिलती है तो अन्य उन देशों को भी मिलनी चाहिए
जिन्होंने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यही बात चीनी
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता होवा चुनिइंग ने भी कही कि भारत
को एनएसजी में एंट्री मिलती है तो अन्य नॉन-एनपीटी मेंबर्स को
भी मिलनी चाहिए।

भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है लेकिन
एनएसजी रूल्स से 2008 में मिली छूट के आधार पर उसे कई फायदे
हासिल हैं। होआ ने कहा कि एनपीटी आधारशिला है और पेइचिंग
चाहता है कि बिना एनपीटी पर हस्ताक्षर किए किसी भी देश
को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिले। होआ ने कहा कि इस मुद्दे
पर पर्याप्त बातचीत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन इस
मामले में किसी खास देश के खिलाफ नहीं है। होआ ने कहा कि
एनएसजी की वार्षिक मीटिंग में नए सदस्यों की एंट्री अजेंडा में
कभी नहीं रहा है।
उन्होंने कहा कि नॉन-एनपीटी मेंबर्स की एनएसजी में एंट्री कभी
बैठक के अजेंडा में कोई टॉपिक नहीं रहा है। होवा ने कहा कि
भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीनी दौरे पर एनएसजी में
एंट्री को लेकर इच्छा जाहिर की है। चीनी विदेश मंत्रालय की
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस मामले पर अपनी-अपनी
बात रखी है।

गुलबर्ग कांड: नेता छूटे, कार्यकर्ताओं को सज़ा


14 साल के बाद आज गलबर्ग सोसायटी के गुनहगारों को सजा सुनायी गयी। लोगों से खचाखच भरी स्पेशल एसआइटी अदालत में जज पी बी देसाई पर पीड़ित और दोषी पक्ष की निगाहें टिकी हुई थी। जज साहब ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं 12 दोषियों को सात साल की सजा और एक दोषी को 10 साल की सजा सुनायी।
जाकिया जाफरी ने क्या कहा ?
अदालत के फैसले पर याची जाकिया जाफरी ने कहा कि वो अदालत के फैसले से खुश नहीं है। वकील से सलाह के बाद ऊपरी अदालत में अपील करुंगी। गुलबर्ग सोसायटी में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। लेकिन 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है। जाकिया जाफरी ने कहा कि अभी लड़ाई बाकी है। इसे मैं न्याय नहीं कह सकती हूं। गुनाह के लिए जिम्मेदार लोग बेहद ही हिंसक थे। ये समझ के बाहर है कि अदालत ने एक तरह के अपराध के मामले में गुनहगारों को अलग-अलग सजा दी है।
तीस्ता सीतलवाड़ का बयान
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि अदालत के फैसले से खुशी है। लेकिन कम सजा के ऐलान से निराशा भी हुई है। उन्होंने कहा कि वो बदले के फैसले में विश्वास नहीं करती है। सुधारात्मक प्रयासों से ही अपराधियों की मनोदशा को बदला जा सकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि वो मौत की सजा में विश्वास नहीं करती हैं। उन्होंने अदालत के फैसले पर कहा कि वो ये नहीं कहना चाहती हैं कि दोषियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए।
दोषियों के रिश्तेदारों का बयान
वहीं सजायाफ्ता दोषियों में से एक की बहन ने कहा कि उसका भाई निर्दोष है। अदालत के फैसले में खोट है। वो लोग स्पेशसल एसआइटी कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
अभियोजन पक्ष ने इससे पहले विशेष जज पीबी देसाई को सभी दोषियों द्वारा जेल में बिताई गई अवधि को लेकर तैयार सूची सौंपी। इसके बाद कोर्ट ने सजा के एलान की तिथि मुकर्रर की। 11 आरोपियों को हत्या के मामले में दोषी करार दिया था। विश्व हिंदू परिषद के नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य को अपेक्षाकृत कम गंभीर मामलों में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने 36 अन्य को बरी कर दिया था।
अभियोजन पक्ष ने सभी दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। वहीं, बचाव पक्ष ने दोषियों की सामाजिक, आर्थिक, आपराधिक रिकॉर्ड और सुधार की गुंजाइश को ध्यान में रखते हुए सजा देने की बात कही है। गुजरात दंगे से जुड़े नौ मामलों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है। गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार का मामला भी इनमें से एक है।

जानिए, गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार और अदालती कार्यवाही में कब क्या हुआ?
2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात के चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड मामले में एक स्पेशल एसआईटी कोर्ट ने सभी 24 दोषियों के खिलाफ सजा का एलान कर दिया है। दोषियों को आजीवन कारावास से लेकर 10 साल और सात साल की सजा सुनाई गयी है। 2 जून को विशेष अदालत के न्यायाधीश पीबी देसाई ने फैसला सुनाते हुए 24 आरोपियों को दोषी करार दिया जबकि 36 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

28 फरवरी, 2002- गोधराकांड के एक दिन बाद, यानी 28 फरवरी को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी जहां पर अधिकांश मुस्लिम परिवार रहते थे, वहां पर उत्तेजित भीड़ ने हमला किया गया। शाम होते- होते यहां कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। ज्यादातर लोगों को जिंदा जला दिया। 39 लोगों के शव बरामद हुए जबकि कई गायब भी हुए जिन्हें बाद में मृत मान लिया गया। कुल मौतों का आंकडा 69 था और मृतकों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे।

8 जून, 2006 - एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज की जिसमें इस हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों और 62 अन्य लोंगो को ज़िम्मेदार ठहराया गया लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया।

अक्टूबर, 2007 - तहलका पत्रिका ने एक एक स्टिंग ऑपरेशन किया जिसमें विश्व हिंदू परिषद और बंजरग दल के 14 लोगों सहित तत्कालीन भाजपा विधायक हर्ष भट्ट, जो उस समय बजरंग दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे वो हत्याओं को अंजाम देने की बात कर रहे थे।

3 नवंबर, 2007 - जकिया जाफरी ने इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट से संपर्क किया लेकिन हाईकोर्ट ने शिकायत लेने से मना कर दिया और कहा कि कि पहले वो मजिस्ट्रेट कोर्ट में मामले को ले जाए।

26 मार्च, 2008 - सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 10 बड़े मामलों की जांच के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को आदेश दिया जिनमें गुलबर्ग का मामला भी था। कोर्ट ने पूर्व सीबीआई निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता में जांच के लिए एक एसआईटी बनाई।
सितंबर 2009 - ट्रायल कोर्ट में गुलबर्ग हत्याकांड की सुनवाई (ट्रायल) शुरू हुई।
27 मार्च 2010 - नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने ज़किया की फरियाद के संदर्भ में समन किया और गुलबर्ग सोसायटी सहित एहसान जाफरी की हत्या के मामले में उन पर लगे आरोपों के मामले में पूछताछ की।
मार्च 2010 - विशेष लोक अभियोजक आर के शाह निचली अदालत के न्यायाधीश तथा एसआईटी पर यह आरोप लगाते हुए ईस्तीफा दे दिया कि वे आरोपी पर नरमी बरत रहे हैं जिसके बाद इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा थी।
दिसंबर 2010- जकिया जाफरी सहित अन्य पीड़ित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अर्जी दाखिल करते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि एसआईटी 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे।
मार्च 2011- सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को न्यायविद् राजू रामचंद्रन द्वारा व्यक्त की गई शंकाओं पर ध्यान देने को कहा।
18 जून, 2011- रामचंद्रन ने अहमदाबाद का दौरा किया और गवाहों तथा उन अन्य लोगों से मुलाकात की जिसके आधार पर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की।

जुलाई 2011- न्यायविद् राजू रामचन्द्रन ने इस रिपोर्ट पर अपना नोट सुप्रीम कोर्ट में रखा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाएगा और कोर्ट ने गुजरात सरकार व एसआईटी को रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया।

सितंबर 2011- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ा कि क्या मोदी या अन्य से पूछताछ की जा सकती है।

8 फरवरी 2012 - एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश की।

10 अप्रैल 2012- मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष रखी गई एसआईटी रिपोर्ट में माना गया कि तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की इस नरसंहार में कोई भूमिका नहीं है।

इस मामले में ट्रायल के दौरान चार लोगों की मौत हो चुकी थी। नरसंहार मामले में अभी तक 338 से ज्यादा लोगों की गवाही हुई। सितंबर 2015 में ही इस मामले का ट्रायल खत्म हो गया था।