JNU में 9 फरवरी को हुए विवादित कार्यक्रम में शिरकत करने और पुलिस
के मुताबिक 'देशविरोधी नारे लगाने में' अगुवाई करने वाले DSU के पूर्व
सदस्य उमर खालिद रविवार को विश्वविद्यालय परिसर में लौट आए। उमर के वापस लौट
आने की खबर के बाद से ही JNU में काफी संख्या
में छात्र जमा होने लगे थे। रविवार रात परिसर में स्थित प्रशासकीय ब्लॉक
के आगे उमर ने शिक्षकों और छात्रों को संबोधित कर उनके सामने अपना पक्ष रखा।
छात्रों ने 'लाल सलाम' के नारों के साथ उमर का स्वागत किया। उमर ने अपने संबोधन
की शुरुआत कुछ इस तरह की, 'साथियों, मेरा नाम उमर खलिद
जरूर है, लेकिन मैं आतंकवादी नहीं हूं।' उन्होंने पिछले दिनों
इस पूरे विवाद के खिलाफ खड़े होने और विरोध करने के लिए सभी छात्रों
और शिक्षकों का शुक्रिया कहा। उमर ने कहा कि यह लड़ाई छात्रों की और
JNU की नहीं, बल्कि देशभर के सभी छात्रों
की है। उन्होंने कहा कि इससे देश और इसके समाज का आने वाला कल
तय होगा।
दिल्ली पुलिस द्वारा उनपर जैश-ए-मुहम्मद से संपर्क होने और 2 बार
पाकिस्तान होकर आने की बात पर मजाकिया अंदाज से उमर ने कहा, 'दोस्तों,
पिछले कुछ दिनों में मुझे अपने बारे में ऐसी-ऐसी बातें जानने को
मिली हैं, जो कि मुझे खुद नहीं पता थीं। मुझे पता
चला कि मैं दो बार पाकिस्तान होकर आया हूं, मेरे पास पासपोर्ट नहीं है,
फिर भी मैं पाकिस्तान से होकर आया हूं। मुझे यह भी पता चला
कि मैं इस पूरे कार्यक्रम का मास्टरमाइंड हूं। मुझे यह भी पता चला कि मैं
ऐसे कार्यक्रम 17-18 और विश्वविद्यालयों में भी ऐसे कार्यक्रम
की योजना बना रहा था। मुझे पता ही नहीं था कि मेरा
इतना प्रभाव है।'
दिल्ली पुलिस ने उमर के कॉल रेकॉर्ड्स के बारे में कहा था कि उन्होंने
पिछले कुछ दिनों में 800 कॉल किए हैं और ये फोन पाकिस्तान, कश्मीर,
बांग्लादेश वगैरह देशों में किए गए हैं। उमर ने कहा कि उनपर लगाए गए आरोप
बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बिना कोई सबूत दिए ही उनपर
आरोप लगाए। मीडिया को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा
कि मीडिया को भी अपनी गैरजिम्मेदारी के
लिए भुगतना होगा।
उन्होंने कहा कि अपनी बहन और पिता के बारे में छपी खबरें व
उनके लिए कही गई बातों से वह परेशान हो गए। उमर ने कहा कि उन्होंने
कभी खुद को मुस्लिम होने के नजरिए से नहीं देखा था, लेकिन
पिछले 7 दिनों में उन्हें अहसास कराया गया कि उनकी पहचान मुस्लिम होने
से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि मानवता और लोगों के प्रति उनका प्यार
किसी एक देश की सीमा तक सीमित
नहीं है। उमर ने कहा कि सरकार डरपोक है और लोगों के सोचने से व
उनके संघर्षों से डरती है। उन्होंने कहा कि सरकार को सोचने वालों से डर
लगता है। उन्होंने रोहित वेमुला, FTII और बीएचयू से संदीप
पाण्डेय को निकाले जाने वाले प्रकरणों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि
JNU के छात्र देश के शोषित व उत्पीड़ित जनता के साथ हैं।
रविवार को ही इस मामले में आरोपी 4 अन्य छात्र भी
आए थे। संभावना जताई जा रही है कि आज ये सभी छात्र
पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करेंगे। 9 फरवरी को हुए कार्यक्रम पर
विवाद होने के बाद से ही उमर भूमिगत हो गए थे। पुलिस ने
उनकी तलाश में कई जगह छापेमारी भी
की थी। मालूम हो कि JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया
कुमार, उमर खालिद, DU के पूर्व प्रफेसर ए.ए.आर. गिलानी व कुछ
अन्य के खिलाफ अदालत की अवमानना करने संबंधी एक याचिका
को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इसपर सोमवार को
सुनवाई होनी है।
जो अन्य 4 छात्र लौटकर आए, उनमें JNU छात्रसंघ के महासचिव रामा नागा, अनंत
प्रकाश, आशुतोष कुमार और अनिर्बन शामिल हैं।
9 फरवरी के कार्यक्रम की जांच को लेकर JNU की
ओर से उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई गई थी। इस समिति ने
अपनी पहली नजर की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते
हुए 8 छात्रों को अकादमिक गतिविधियों से बैन कर दिया था। इन आठों में कन्हैया कुमार
भी शामिल थे। इस सभी के नाम मीडिया में सामने आने
के बाद इन छात्रों को कथित तौर पर धमकियों का सामना करना पड़ा।
23 को कन्हैया और रोहित साथ-साथ
JNU छात्र संघ ने सभी छात्रों से अपील की है कि
23 फरवरी को #JusticeForRohitVemula आंदोलन का साथ देते
हुए जंतर-मंतर पहुंचें। प्रकाश आंबेडकर ने भी 23 फरवरी
के मार्च को लेकर रविवार को छात्रों के बीच भाषण दिया। रोजाना शाम
'राष्ट्रवाद' की क्लास और सांस्कृतिक विरोध कार्यक्रम के साथ JNU में
आंदोलन तेज है। जेकन्हैया कुमार की रिहाई की मांग पर
भी विरोध जारी है, साथ ही रोहित वेमूला
की मौत की यादें भी छात्रों के साथ है। इस
बीच डी. राजा की बेटी अपराजिता के
आईएस लिंक होने के आरोप का भी छात्रों ने विरोध किया। छात्रों का कहना
है कि ABVP परिसर में खुद को साबित करने में हर जगह हारी है,
इसी वजह से इस तरह की अफवाहों और आरोपों के साथ
वामदलों से जुड़े छात्र नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। JNU छात्रसंघ
की उपाध्यक्ष शहला राशिद ने केरल के उस अखबार के मुख्य संपादक को
पत्र भी लिखा, जिसमें अपराजिता के आईएस के साथ संबंध होने
की बात कही गई थी। शहला ने कहा कि कुछ
मीडिया हाउस तमाम विश्वविद्यालयों से उठ रहे विरोध के खिलाफ काम कर
रहे हैं और उनकी आवाज दबा रहे हैं।
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