Loading...

डेविड हेडली ने सुनाई मुंबई हमले की पूरी कहानी

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े रहे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड
हेडली की गवाही 26/11 मुंबई हमले के मामले में मुंबई की विशेष
अदालत के समक्ष शुरू हो चुकी है। अदालत के सामने उसने कई अहम
खुलासे किए हैं। डेविड हेडली ने स्वीकार किया कि उसने भारत में
घुसने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के बाद उसने आठ बार भारत
की यात्रा की थी। इस दौरान 7 बार वह मुंबई आया था। डेविड
हेडली ने आखिरी बार 2009 में मुंबई का दौरा किया था। इसका
मतलब 26/11 हमले के बाद भी आतंकी डेविड हेडली भारत आया
था। हेडली ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि मैं लश्कर-ए-
तैयबा का कट्टर समर्थक रहा हूं। हेडली ने कहा कि उसने लश्कर के
ही आतंकी साजिद मीर की मदद से फर्जी पासपोर्ट बनवाया
था। हेडली ने कहा कि मुंबई हमले के बाद भी मैं 7 मार्च, 2009 को
लाहौर से दिल्ली गया था।
आतंकी ने कहा कि मैं अपना नाम बदलने के बाद इस बारे में सबसे
पहले साजिद मीर को बताया था। यही नहीं नाम बदलने के कुछ
हफ्तों बाद ही डेविड हेडली पाकिस्तान गया था। हेडली ने कहा
कि मैंने भारत में घुसने के मकसद से अपना नाम बदल लिया था।
आतंकी ने अदालत के सामने स्वीकारा, 'मैंने भारत में घुसने के लिए
नाम बदला था। अमेरिकी नाम के जरिए मैं भारत में घुसना चाहता
था। साजिद मीर चाहता था कि मैं भारत में कोई काम करूं।
साजिद मीर ने ही डेविड हेडली को मुंबई हमलों को अंजाम देने के
लिए भारत जाकर रेकी करने को कहा था।'
हेडली ने कहा कि मेरी पहली भारत यात्रा से पहले साजिद मीर
ने भारत में हमले के अपने इरादों को उजागर किया था। हेडली ने
कहा कि साजिद मीर ने उससे मुंबई का विडियो बनाने के लिए
कहा था। हेडली ने कहा कि मैं 7 बार पाकिस्तान से भारत आया
था, जबकि एक बार यूएई से भारत का दौरा किया था। आतंकी
हेडली अमेरिका के शिकागो स्थित जेल से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग
के जरिए गवाही दे रहा है। यह पहला मौका है, जब भारत में किसी
मामले में विदेश से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही ली जा
रही है। डेविड हेडली 26/11 हमले का वादामाफ गवाह है।
आतंकी हेडली को अमेरिकी अदालत ने इसी शर्त पर उसे मौत की
सजा देने की बजाय उम्रकैद दी थी कि वह आगे चलकर आतंकी
मामलों में गवाही देगा। दिसंबर 2015 में डेविड हेडली मुंबई हमले के
केस में वादा माफ गवाह बन गया था। स्पेशल कोर्ट के आगे हेडली ने
कहा कि वह पाकिस्तान में हमले की योजना बनने के बारे में पूरी
जानकारी देने को तैयार है।
मुंबई क्राइम ब्रांच की ओर से सरकारी अधिवक्ता उज्जवल निकम
पैरवी कर रहे हैं। मुंबई में आतंकी हमला करने की योजना बनाने और
उसे अंजाम देने में हेडली की मुख्य भूमिका थी। अधिवक्ता महेश
जेठमलानी अदालत में हेडली का पक्ष रख रहे हैं। इससे पहले एनआईए
की ओर से की गई पूछताछ में हेडली ने कहा था कि मुंबई हमले की
योजना को हाफिज सईद की मंजूरी थी और जकीउर रहमान
लखवी ने इसकी पूरी साजिश रची थी। इसके अलावा पाक सेना
और आईएसआई को भी इसके बारे में पूरी जानकारी थी।
हेडली से पूछताछ के बाद एनआईए की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट
के मुताबिक हेडली ने स्वीकार किया था कि हमले को हाफिज
सईद की मंजूरी थी, जबकि जकी-उर रहमान लखवी इस हमले का
मास्टरमाइंड था। इस बड़े हमले को अंजाम देने के लिए आईएसआई ने
आतंकियों को आर्थिक मदद मुहैया कराई थी।
यहां तक कि हमले के बाद पाकिस्तान में अरेस्ट किए गए जकी-उर-
रहमान लखवी से आईएसआई के चीफ शुजा पाशा ने उससे मुलाकात
भी की थी। डेविड हेडली पाकिस्तान के खिलाफ पुख्ता सबूत दे
सकता है। वहीं, 26/11 मामले के मुख्य साजिशकर्ता आतंकी अबू
जुंदाल के वकील ने सुनवाई रोके जाने की मांग की।

शिकागो की जेल से मुंबई की विशेष अदालत को विडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देते हुए डेविड हेडली ने कई अहम राज
खोले हैं। डेविड हेडली ने मुंबई हमले की पूरी कहानी सुनाते हुए कहा
कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान की धरती पर रची गई थी
और पहले भी दो बार हमले की कोशिशें हो चुकी थीं। डेविड
हेडली के अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बताया, 'हेडली ने कहा
कि 26/11 से पहले भी मुंबई पर हमले की दो कोशिशें हुई थीं। हेडली
ने स्वीकार किया है कि वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए हाफिज सईद
के निर्देश पर ही काम करता था।'
हेडली ने अदालत को बताया कि पहली बार सितंबर 2008 में मुंबई
पर हमले की योजना बनाई गई थी। लेकिन समुद्र में उनकी नाव एक
चट्टान से टकरा गई, इससे नाव डूब गई और उसमें रखे हथियार एवं
विस्फोटक डूब गए। हालांकि नाव में सवार आतंकी किसी तरह बच
निकले। इसके बाद आतंकियों ने अक्टूबर 2008 में एक बार फिर मुंबई
पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन इस बार फिर साजिश
नाकाम हो गई। दूसरी बार मुंबई हमले की साजिश रचने वाले लोगों
में भी वही लोग थे, जो पहली बार बोट लेकर मुंबई के लिए निकले थे।
इसके बाद आतंकियों ने तीसरी बार 26/11 को मुंबई पर हमले की
कोशिश की। इस बार आतंकी अपने नापाक मंसूबों में कामयाब रहे।
इस हमले में 164 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग जख्मी हो
गए थे। हेडली ने इस स्वीकार किया कि 26/11 हमला जमात-उद-
दावा कमांडर हाफिज सईद की शह पर हुआ था। हेडली ने कहा कि
वह हाफिज सईद से प्रभावित था, वह उसकी तकरीरों को सुनता
था और उनसे खासा प्रभावित था। हेडली ने कहा कि वह 2002 में
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था।
आईएसआई की भूमिका भी उजागर
हेडली ने स्पेशल कोर्ट को बताया, 'मेजर अली ने ही आईएसआई के
मेजर इकबाल से मेरा परिचय कराया था।' हेडली ने बताया कि
लश्कर आतंकी साजिद मीर chalchalo@yahoo.com ईमेल आईडी
के जरिए आतंकियों से संपर्क साधता था। हेडली ने कहा कि मुझे
वीजा मिलने के बाद मेजर अली ने कहा कि तुम भारत के बारे में
सूचनाएं जुटाने में काम आओगे।
तहव्वुर राणा ने दिलवाया भारत का वीजा
हेडली ने कहा कि डा. तहव्वुर हुसैन राणा ने उसे भारतीय वीजा
दिलाने में मदद की थी। हेडली ने कहा कि पंजाब सूबे के एक स्कूल में
उसकी राणा से मुलाकात हुई थी। हेडली ने बताया कि राणा
पांच साल तक उसके साथ स्कूल में पढ़ा था। मुंबई हमले के वादामाफ
गवाह ने कहा कि मेरे भारतीय वीजा को देखने के बाद साजिद
मीर और मेजर इकबाल काफी खुश हुए थे।