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हेडली के सामने 3 नाम थे, इशरत चुन लिया

गुजरात के अहमदाबाद में 15 जून 2014 को पुलिस मुठभेड़ में मारी गई
इशरत जहां को हेडली द्वारा आत्मघाती हमलावार बताए जाने से
इशरत के परिवार वाले काफी निराश हैं। 19 साल की इशरत के
परिवार वालों ने 26/11 के मुंबई हमलों के आतंकी हेडली के
दावों की सचाई पर सवाल उठाए हैं।
इशरत के चाचा रऊफ लाला ने कहा कि यह लोगों के ऊपर है कि वे
सीबीआई रिपोर्ट या आतंकवादी हेडली के
दावों में से किस पर भरोसा करते हैं। इशरत के चाचा ने कहा कि इशरत का नाम
हेडली के साथ जोड़ने के लिए कोशिशें की गई हैं, उसके सामने 3
लोगों की लिस्ट रखी गई, जिसमें से उसने एक को चुन लिया।
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में इसे लिखा है।
सीबीआई ने बताया है कि इशरत की मौत मुठभेड़ में
नहीं हुई थी बल्कि उसकी हत्या की गई
थी। लाला ने कहा कि अब लोगों को फैसला लेना है कि उन्हें किस पर
विश्वास करना है, सीबीआई की रिपोर्ट पर या
हेडली पर।
लाला ने कहा कि हम इस केस को पिछले 10 सालों से फॉलो कर रहे हैं। यह बयान न
तो नया है और न ही हैरतअंगेज। डेविड हेडली वहां पर बैठा
है और आरोप लगा रहा है। जांच एजेंसियों को सचाई जानने के लिए छानबीन
करनी चाहिए।
इशरत जहां के चाचा ने कहा कि उन्हें देश की कानून व्यवस्था पर पूरा
भरोसा है। हेडली को 26/11 हमले के सिलसिले में गुरुवार को
तीसरे दिन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुंबई कोर्ट में पेश किया गया।
हेडली ने कोर्ट को बताया कि लश्कर-ए-तैयबा में एक महिला विंग
भी है जिसके लिए इशरत काम करती थी।
हेडली ने गुरुवार को कई अहम और बड़े खुलासे किए। हेडली
ने बताया कि साजिद मीर से पहले लश्कर में उसका ग्रुप हेड मुजम्मिल
भट हुआ करता था। मुठभेड़ वाले दिन इशरत को कुछ नाको पर पुलिस को मारना था।
हेडली ने कहा कि इशरत जहां नाम की एक महिला इस अभियान
में शामिल थी।