नए भटकल भाई भारत की सुरक्षा के लिए नए खतरा बनकर सामने
आए हैं। दरअसल, आईएसआईएस ने साउथ एशिया में काम करने के लिए
अंसार-उत-तावहिद फी बिलाद अल-हिंद (AuT) से हाथ मिलाया
है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस को ऐसा करते समय
पता था कि वह अपने लिए सही पार्टनर चुन रहा है।
शुरुआत में AuT दो भाइयों के नेतृत्व में काम कर रहा था। भारतीय
सुरक्षा एजेंसियों ने यासीन भटकल के नेतृत्व में भटकल भाइयों के
संगठन का सफाया कर दिया था। अब इसका एक धड़ा भारत पर
फोकस करके ग्लोबल जिहाद का हिस्सा बन चुका है।
इनमें से एक भाई शफी अरमार ने भारत के खिलाफ अभियान जारी
रखा है। 2013 में पाकिस्तान में इंडियन मुजाहिद्दीन के सदस्यों में
फूट पड़ने के बाद भारतीय एजेंसियां कर्नाटक में अरमार भाइयों के
खतरे को लेकर निश्चिंत थीं, क्योंकि उन्होंने भारत में यासीन
भटकल के नेतृत्व वाले माॉड्यूल का सफाया कर दिया था। उधर,
आईएसआई ने इकबाल और रियाज भटकल को अपने अधीन रखा था,
पर उत्तर भारत के आजमगढ़ से कुछ युवा थे जो इन्हें चकमा देने में सफल
रहे। इनमें अब्दुल सुल्तान अरमार और उसका भाई शफी अरमार समेत
और भी कुछ लोग थे।
ये अफगानिस्तान और पाकिस्तान चले गए और कुछ समय के लिए
अल-कायदा में रहे। हालांकि, इनकी महत्वाकांक्षा इन्हें ज्यादा
दिनों तक अल-कायदा में नहीं रख सकी। इन्हें पता चल चुका था
कि आने वाले दिनों में आईएसआईएस ही लंबे समय तक टिकेगा।
नवंबर 2013 में AuT का गठन हुआ और यह आईएसआईएस के नजदीक
आने लगा। PoK के संगठनों के मुकाबले ये लोग वैचारिक तौर पर भी
आईएसआईएस के करीब थे। यही नहीं, इन्होंने आईएसआईएस की ओर
से लड़ने की इच्छा भी जताई।
अब भारतीय एजेंसियां इस बात से चिंतित हैं कि शाहनवाज
सिमी के सूत्रों से संपर्क साधेगा। शफी ने इंटरनेट के जरिए भर्ती
और संपर्क साधने का काम किया है। AuT ने सबसे पहले बाटला
हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों को शहीद घोषित कर चर्चा
बटोरी थी। हालांकि यह दुनिया भर में चब चर्चा में आया, जब
बाटला हाउस से फरार इसके दो सदस्य सुल्तान अरमार और बाडा
साजिद एक एनकाउंटर में मारे गए। उधर, आईएसआईएस ने अमेरिकी
फौज से संघर्ष में मरने वालों को शहीद करार दिया। इसके बाद
सुल्तान के भाई शफी ने चार्ज लिया और अह वह भारत से भर्तियां
कर रहा है और सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक देश के लिए सबसे बड़ा
खतरा है।
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