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शौचालय बनवाने के मामले में कांग्रेस की UPA का रेकॉर्ड मोदी सरकार से अच्छा

मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल
गांधी के सवाल का बेंगलुरु के माउंट कार्मल कॉलेज की छात्राओं
ने मिलाजुला जवाब ही दिया था। साल भर बाद जब इस कैम्पेन के
नतीजों की पड़ताल की जा रही है तो प्रोग्रेस रिपोर्ट भी
मिलाजुला ही दिख रहा है। पिछले साल दो अक्टूबर को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन
की शुरुआत की थी।
इस मिशन का मकसद साल 2019 तक भारत के उन घरों में शौचालय
मुहैया कराना है, जहां इसकी सुविधा नहीं है। इस बीच स्वच्छ
मिशन से जुड़े प्रचार अभियान में राजनेता से लेकर नौकरशाह तक
गलियों और सड़कों पर झाड़ू लगाते हुए दिखे। स्कूली बच्चों को
भी स्वच्छता की शपथ लेते हुए दिखाया गया। अच्छी बात यह है
कि मिशन की शुरुआत के बाद से देश में शौचालयों की संख्या में एक
बड़ा उछाल दर्ज किया गया है।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के अनुसार, नवंबर, 2014 और अक्टूबर,
2015 के बीच 98 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण
कराया गया। इसके पहले के तीन सालों की इसी अवधि के
बनिस्बत यह संख्या तकरीबन दोगुनी है। लेकिन एक लंबे समय
अंतराल के लिहाज से देखें तो आंखें खोलने वाली एक तस्वीर
उभरती हुई दिखती है। साल 2004 से 2009 के बीच UPA की पहली
सरकार में 4.6 करोड़ शौचालय बनाए गए।
इसका मतलब यह हुआ कि हर साल औसतन 92 लाख शौचालय
बनाया गया। UPA की दूसरी सरकार ने 2009 से 2014 के बीच हर
साल औसतन 86 लाख की दर से 4.3 करोड़ शौचालय बनवाए।
लेकिन हकीकत तो यह है कि मोदी सरकार अपने 17 महीनों के
कार्यकाल में UPA के इस औसत से पीछे चल रही है। मोदी सरकार के
कार्यकाल में 78 लाख शौचालय औसतन हर साल बनवाए गए हैं।
हां , यह जरूर है कि जज्बा बरकरार है। ज्यादा चिंताजनक पहलू
UPA और NDA की राजनीतिक तुलना से नहीं जुड़ा है बल्कि
फिक्र की बात सभी को शौचालय मुहैया कराने के टारगेट से
जुड़ा है। कितने लोगों को शौचालयों की जरूरत है, सरकार ने इसे
लेकर अपने नजरिये में बदलाव किए हैं। साल 2011 की जनगणना के
मुताबिक 67.3 फीसदी घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी।
बाद में सरकार ने साल 2012 के सैंपल सर्वे के आधार पर जुटाए NSSO
के आंकड़े को अपना लिया। इसके मुताबिक 59.4 फीसदी घरों में
शौचालय सुविधा नहीं है। हालांकि यह स्वच्छता मंत्रालय के 55.5
फीसदी के अपने आंकड़े से रत्ती भर ज्यादा है। इस बीच 2004-05 में
प्रति शौचालय बनाने की 1000 रुपये की लागत भी इस समय बढ़कर
9,600 हो गई है।