निर्भया गैंगरेप कांड में नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की याचिका आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले से आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को जबरदस्त झटका लगा है।
यहां पर याद दिला दें कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के नाबालिग दोषी (अब बालिग) की रविवार को ही रिहाई हो गई थी।
रिहाई के खिलाफ याचिका दिल्ली महिला आयोग की ओर से दाखिल की गई थी। पीड़िता की मां ने रिहाई को लेकर आयोग की याचिका पर ही सवाल उठा दिए थे। उनका कहना था कि जब नाबालिग रिहा ही हो गया, तब याचिका का क्या मतलब?
बावजूद इसके स्वाति मालीवाल ने उम्मीद जताई थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर कुछ न कुछ अवश्य करेगा। उन्होंने इस बात पर निराशा भी जताई थी कि तीन साल बाद भी संसद इस मामले में कोई सार्थक व सख्त कानून देश को नहीं दे सका।
स्वाति ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि उन्होंने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से भी मुलाकात की। उपराष्ट्रपति ने आश्वस्त किया है कि जुवेनाइल जस्टिस एमेंडमेंट बिल को तीन-चार दिनों के भीतर राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
इससे पहले नाबालिग की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने शनिवार की मध्यरात्रि में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार को करने का निर्णय लिया था। हालांकि कोर्ट ने दोषी की रिहाई पर रोक नहीं लगाई थी।
महिला आयोग को लगा झटका
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के जस्टिस गोयल के आवास पर पहुंचने के साथ यह संभावना जताई जा रही थी कि निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और मुंबई बम विस्फोट कांड के दोषी याकूब मेमन की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है, लेकिन जस्टिस गोयल ने इस मामले की सुनवाई आज करने का फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने रिहाई पर रोक से कर दिया था इन्कार
निर्भया के नाबालिग दोषी की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट से पहले दिल्ली हाईकोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन वहां पर रिहाई को लेकर दखल से इन्कार कर दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर नाबालिग की रिहाई रोकने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने साफ मना कर दिया था।