बिहार के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को अपहरण और क़त्ल के एक
मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है.
तेज़ाब कांड से चर्चित 2004 के इस मामले में सिवान के व्यवसायी
चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ़ चंदा बाबू के दो बेटों का अपहरण हुआ था.
बाद में उनके तेज़ाब से जले हुए शव मिले थे.
अपहरण और हत्या के वक़्त शहाबुद्दीन जेल में थे. पीड़ितों के
परिवार ने आरोप लगाया था कि यह शहाबुद्दीन के आदेश पर हुआ
था.
9 दिसंबर को सिवान की विशेष ज़िला अदालत ने शहाबुद्दीन
और तीन अन्य अभियुक्तों को दोषी क़रार दिया था.
स्थानीय पत्रकार नीरज सहाय के मुताबिक़ शुक्रवार को सिवान
के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव की
अदालत ने शहाबुद्दीन और बाक़ी तीनों दोषियों को आजीवन
कारावास की सज़ा सुनाई है.
मामले के ग़वाह और मारे गए लोगों के भाई राजीव रोशन की 2014
में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
अदालत के फ़ैसले के बाद मारे गए भाइयों के पिता चंदा बाबू ने
बीबीसी से कहा, "जो न्याय हुआ है, हम उसका सम्मान करते हैं
लेकिन हमारी समझ से ये न्याय भी कम है. उन्हें फांसी की सज़ा
होनी चाहिए थी. वो उम्रक़ैद काटकर बाहर निकलेंगे ही. हमें भय है.
अब सिर्फ़ मैं, मेरी पत्नी और एक विकलांग बच्चा ही बचे हैं. हमें अब
समझ में नहीं आता है कि हम क्या करें."
शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने कहा है कि वे उच्च
न्यायालय में फ़ैसले को चुनौती देंगी.
शहाबुद्दीन सिवान से राष्ट्रीय जनता दल के सांसद रहे हैं.
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