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मोदी करना चाहते हैं कैबिनेट में बदलाव, पर नहीं मिल रहे लोग

बिहार के चुनावों में नवंबर में मिली हार के बाद से पीएम नरेंद्र
मोदी अपने कैबिनेट में बदलाव करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें आसपास
योग्य प्रतिभाएं नहीं मिल रही है। मोदी अपनी टीम में खराब
प्रदर्शन करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं।
बीजेपी के बड़े नेताओं और मोदी के एक करीबी सहयोगी ने कहा है
कि पीएम कई मंत्रियों की जिम्मेदारी में बदलाव करना चाहते हैं।
कहा जा रहा है कि नए साल में सरकार में कुछ बदलाव देखने को
मिल सकते हैं, लेकिन मोदी की तलाश पूरी नहीं हो रही है।
मोदी पर अपनी पार्टी के साथ ही सरकार की छवि बदलने का
भी दबाव बढ़ रहा है। विकास और नौकरियों का वादा करके
बहुमत से केंद्र में आई मोदी सरकार को सत्ता में दो साल पूरे होने
वाले हैं। विकास दर और निवेश चरमरा रहा है और ग्रामीण इलाकों
में दो सूखों से तनाव बढ़ा है।
मोदी के सहयोगी ने कहा है, 'चुनौती ऐसे लोगों को चुनने की है,
जो सुधार और नीतियों में उनके विकास के वादे पर काम कर सकें।'
अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय मिल सकता है, लेकिन सूत्रों का
कहना है कि मोदी को अपने विकास के वादे पर काम करने के लिए
अरुण जेटली की जगह पर लाने को कोई उपयुक्त मंत्री नहीं मिल
रहा है। हालांकि, मोदी के प्रवक्ता ने इस पर कोई भी टिप्पणी
करने से इनकार कर दिया है। जेटली के ऑफिस के एक अधिकारी
का कहना है उन्हें इस बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
माना जाता है कि मोदी ऐसे बदलावों के फैसले अपने तक ही
सीमित रखते हैं और सूत्रों का कहना है कि इन मामलों में आखिरी
फैसला भी उन्हीं का होता है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि
अभी मोदी का इस पर अंतिम फैसला लेना बाकी है। पीएम के ही
एक और करीबी ने कैबिनेट में बदलाव की संभावना को खारिज
किया है। उनका कहना है कि ये अफवाहें हैं।
सरकार के सामने परेशानी है कि उसके पास टैलंट की कमी है। दूसरी
बात यह है कि सरकार उदारवादी या लेफ्ट विचारधारा के लोगों
से दूरी बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस के दशकों लंबे शासनकाल
की वजह से दक्षिणपंथी बौद्धिक वर्ग विकसित नहीं हो सका।
बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धि का कहना है, 'कांग्रेस के
मुकाबले हमारे पास छोटा टैलेंट पूल है, लेकिन यह कुछ समय की ही
बात है। हम अपना बेस बढ़ा रहे हैं।'
सूत्रों का कहना है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ टिप्पणी करने
वाले जूनियर मंत्रियों में गिरिराज सिंह और निरंजन ज्योति से
उनकी जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है। कहा जा रहा है कि
मोदी ऐसी टिप्पणियां करने के खिलाफ हैं। सूत्रों का कहना है
कि सुषमा स्वराज ने अपना पोर्टफोलियो बदलने की मांग की है।
वह विदेश के बजाए देश में ज्यादा ध्यान देना चाहती हैं। उनके
मंत्रालय ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को कृषि मंत्रालय
के अतिरिक्त प्रभार का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने
अपने पास काफी काम का हवाला देते हुए इसे लेने से इनकार कर
दिया।
कहा जा रहा है कि मोदी साउथ और नॉर्थईस्ट के कम चर्चित
चेहरों को सरकार में ले सकते हैं। मोदी के एक सहयोगी का कहना
था कि इससे उनका मंत्रालय 'अखिल भारतीय' भी हो जाएगा।