जून 2014 के मुकाबले अभी पेट्रोल की कीमत में 20 प्रतिशत की
कमी आई है। देश में जून 2014 में पेट्रोल 75 रुपये प्रति लीटर बिक
रहा था तो अभी यह 60 रुपये प्रति लीटर पर आ गया है। इसी
अवधि में ब्रेंट क्रूड प्राइसेज में भी 60 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई
और यह 110 डॉलर प्रति बैरल से 42 डॉलर प्रति बैरल पर आ गिरी।
ब्रेंट प्राइसेज अभी सात साल के निम्नतम स्तर पर है, लेकिन पेट्रोल
और डीजल प्राइसेज के साथ ऐसा नहीं है। मई 2011 से ही पेट्रोल
का भाव 60 रुपये प्रति लीटर से
नीचे कभी नहीं गिरा। पेट्रोल-डीजल की कीमतें वैश्विक स्तर पर
कच्चे तेल की कीमतों से कदमताल नहीं मिला सकतीं, इसके पीछे
दो बड़ी वजहें हैं-
1. रुपया: हमारा देश अपनी ऊर्जा जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात
से पूरा करता है। इसलिए, देश पहुंचने तक ईंधन की लागत क्या होगी,
यह बहुत हद तक एक्सचेंज रेट पर निर्भर करती है। जून 2014 में डॉलर
की कीमत करीब 60 रुपये के बराबर थी, लेकिन धीरे-धीरे रुपया
कमजोर होता गया और पिछले करीब 18 महीनों से इसका भाव
डॉलर के मुकाबले करीब-करीब 67 रुपये पर स्थिर सा है। रुपये की
कमजोरी की वजह से भारत पहुंचने तक कच्चे तेल की कीमत बढ़
जाती है।
2. टैक्सेज: केंद्र की मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लग रहे
टैक्सेज में धीरे-धीरे बढ़ोतरी कर दी है ताकि रेवेन्यू कलेक्शन
बढ़ाया जा सके। मई 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद पेट्रोल-
डीजल पर एक्साइज ड्यूटी दोगुने से भी ज्यादा हो गई है।
अप्रैल 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर थी
जो पांच बार बढ़ते-बढ़ते अभी 19.06 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई है।
इसी तरह, डीजल पर अप्रैल 2014 में 3.65 रुपये प्रति लीटर की दर से
एक्साइज ड्यूटी तय थी। इसमें भी पांच बार बढ़ोतरी हुई और अब यह
आंकड़ा 10.66 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है।
दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 60.48 रुपये है जिसमें करीब-
करीब एक तिहाई हिस्सा एक्साइज ड्यूटी का है जबकि 12.10
रुपये का लोकल सेल्स टैक्स या वैट शामिल है। प्रति लीटर पेट्रोल
उत्पादन में 23.77 रुपये की लागत आती है, लेकिन कंपनी मार्जिन,
पेट्रोल पंप डीलर्स कमिशन और टेक्सेज को जोड़कर ग्राहकों के
लिए इसकी कीमत 60.48 रुपये पड़ जाती है। पेट्रोल पंप डीलर्स को
पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.26 रुपये और डीजल पर 1.43 रुपये प्रति
लीटर कमिशन मिलता है।
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