राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर को
आज राष्ट्रपति भवन में देश के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ
दिलाई। न्यायमूर्ति ठाकुर देश के 43वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उच्चतम
न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश 63 वर्षीय न्यायमूर्ति ठाकुर
को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान
न्यायाधीश (सीजेआई) पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू बुधवार को सेवानिवृत्त हुए थे।
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट में उनके
सहयोगियों और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों समेत कई गणमान्य
हस्तियों ने भाग लिया। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक
विज्ञप्ति में कहा गया कि न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने आज
राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उच्चतम न्यायालय के
प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की। उन्होंने राष्ट्रपति
के समक्ष पद की शपथ ग्रहण की।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने उस पीठ की
अध्यक्षता की जिसने इंडियन प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी और
स्पॉट फिक्सिंग घोटालों के आरोपों के मद्देनजर बीसीसीआई में
सुधार संबंधी फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति ठाकुर ने उस पीठ की
भी अध्यक्षता की जिसने पूर्वी भारत में हुए करोड़ों रूपए के चिंट
फंड घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। इस घोटाले को सारदा
घोटाले के नाम से जाना जाता है।
चार जनवरी 1952 को जन्मे जस्टिस ठाकुर एक वर्ष से अधिक समय
तक सीजेआई का पदभार संभालेंगे और चार जनवरी 2017 को
सेवानिवृत्त होंगे। इस समारोह में जस्टिस ठाकुर की मां सरस्वती
ठाकुर और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए।
जस्टिस ठाकुर ने अपने करियर की शुरुआत जम्मू कश्मीर उच्च
न्यायालय में दीवानी, फौजदारी, संविधान एवं कराधान संबंधी
मामलों के वकील के रूप में की थी वे 1994 में जम्मू कश्मीर उच्च
न्यायालय में अपर न्यायाधीश नियुक्त किए गए।
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