टैक्स बचाने के लिए विदेशों में खोली गई फर्मों को लेकर सोमवार
को जारी हुई पनामा की लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका के डॉक्युमेंट्स
की खासी चर्चा है। इस लिस्ट में 500 भारतीयों के नाम बताए
जा रहे हैं। भारत में इस लिस्ट का खुलासा दैनिक अखबार द इंडियन
एक्सप्रेस ने किया है। पिछले साल स्विस लीक्स में 1,100
भारतीयों के नाम शामिल थे। ध्यान रहे कि लॉ फर्म मोसैक
फॉन्सेका से 11 मिलियन डॉक्युमेंट्स लीक हुए हैं।
को जारी हुई पनामा की लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका के डॉक्युमेंट्स
की खासी चर्चा है। इस लिस्ट में 500 भारतीयों के नाम बताए
जा रहे हैं। भारत में इस लिस्ट का खुलासा दैनिक अखबार द इंडियन
एक्सप्रेस ने किया है। पिछले साल स्विस लीक्स में 1,100
भारतीयों के नाम शामिल थे। ध्यान रहे कि लॉ फर्म मोसैक
फॉन्सेका से 11 मिलियन डॉक्युमेंट्स लीक हुए हैं।
विदेशों में कंपनियों और ट्रस्ट के निर्माण को लेकर फर्म की लिस्ट
में 500 भारतीयों के नाम हैं जिनमें से 234 तो भारतीय पासपोर्ट
रखते हैं। 36 हजार फाइल्स की आठ महीने की जांच के बाद यह
खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि उसने 300 से
अधिक पतों की प्रमाणिकता की भी जांच की है।
कथित तौर पर टैक्स फायदे के लिए अपनाए गए तरीकों में बड़ी
फिल्मी हस्ती अमिताभ बच्चन-ऐशवर्या राय, डीएलएफ कंपनी के
मालिक केपी सिंह और उनके परिवार के नौ लोगों, अपोलो
टायर्स-इंडियाबुल्स के प्रमोटर और गौतम अडाणी के बड़े भाई
विनोद अडाणी के नाम हैं।
इस लिस्ट में दो राजनेताओं के भी
नाम हैं जिसमें पश्चिम बंगाल के
शिशिर बजोरिया और
लोकसत्ता पार्टी के दिल्ली यूनिट के पूर्व चीफ अनुराग
केजरीवाल का भी नाम है। दाऊद के पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची
भी इस लिस्ट में शामिल है, साथ ही इंडियाबुल्स के मालिक समीर
गहलौत का नाम भी है। पनामा लिस्ट के जारी होने के बाद मशहूर
वकील प्रशांत भूषण भी सरकार पर हमलावर हो गए, उन्होंने कहा
कि कैसे पनामा टैक्स हेवेन के अकाउंट होल्डर्स को पद्म अवॉर्ड्स
दिए गए।
में 500 भारतीयों के नाम हैं जिनमें से 234 तो भारतीय पासपोर्ट
रखते हैं। 36 हजार फाइल्स की आठ महीने की जांच के बाद यह
खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि उसने 300 से
अधिक पतों की प्रमाणिकता की भी जांच की है।
कथित तौर पर टैक्स फायदे के लिए अपनाए गए तरीकों में बड़ी
फिल्मी हस्ती अमिताभ बच्चन-ऐशवर्या राय, डीएलएफ कंपनी के
मालिक केपी सिंह और उनके परिवार के नौ लोगों, अपोलो
टायर्स-इंडियाबुल्स के प्रमोटर और गौतम अडाणी के बड़े भाई
विनोद अडाणी के नाम हैं।
इस लिस्ट में दो राजनेताओं के भी
नाम हैं जिसमें पश्चिम बंगाल के
शिशिर बजोरिया और
लोकसत्ता पार्टी के दिल्ली यूनिट के पूर्व चीफ अनुराग
केजरीवाल का भी नाम है। दाऊद के पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची
भी इस लिस्ट में शामिल है, साथ ही इंडियाबुल्स के मालिक समीर
गहलौत का नाम भी है। पनामा लिस्ट के जारी होने के बाद मशहूर
वकील प्रशांत भूषण भी सरकार पर हमलावर हो गए, उन्होंने कहा
कि कैसे पनामा टैक्स हेवेन के अकाउंट होल्डर्स को पद्म अवॉर्ड्स
दिए गए।
पनामा पेपर्स लीक: क्या है पूरा मामला और क्या होगा
आगे?
कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों, दुनियाभर की राजनीतिक-फिल्मी
हस्तियों, खिलाड़ियों और अपराधियों के वित्तीय लेन-देन की
कलई खोलकर रखने वाले पनामा पेपर्स ने हंगामा खड़ा कर दिया
है। इन दस्तावेजों में करीब 500 भारतीयों के नाम भी हैं। इन लीक
दस्तावेजों में नाम होने के चलते आइसलैंड के प्रधानमंत्री पर इस्तीफे
का दबाव पड़ना शुरू हो गया है।
आगे?
कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों, दुनियाभर की राजनीतिक-फिल्मी
हस्तियों, खिलाड़ियों और अपराधियों के वित्तीय लेन-देन की
कलई खोलकर रखने वाले पनामा पेपर्स ने हंगामा खड़ा कर दिया
है। इन दस्तावेजों में करीब 500 भारतीयों के नाम भी हैं। इन लीक
दस्तावेजों में नाम होने के चलते आइसलैंड के प्रधानमंत्री पर इस्तीफे
का दबाव पड़ना शुरू हो गया है।
क्या है पूरा मामला?
पनामा पेपर्स के नाम से लीक हुए इन दस्तावेजों को सामने लाने में
मुख्य भूमिका अमेरिका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के
अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) की है। इनके मुताबिक इन्होंने उन
दस्तावेजों की गहरी छानबीन की, जो इन्हें किसी अज्ञात सूत्र
ने उपलब्ध करवाए थे। जांच में ढेरों फिल्मी और खेल जगत की
हस्तियों के अलावा लगभग 140 राजनेताओं, अरबपतियों की
छिपी संपत्ति का भी खुलासा हुआ है।
जांच में जो डेटा सामने आया है वह बीते 1977 से लेकर 2015 तक
लगभग 40 वर्षों का है। पनामा स्थित लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका
से लीक हुए इन दस्तावेजों को लेकर दावा किया जा रहा है कि
इनमें जिन 500 भारतीय हस्तियों के नामों का जिक्र है, उनमें से
300 नामों की पुष्टि भी की जा चुकी है। जर्मनी के एक अखबार
के मुताबिक, इस पेपर लीक से 2.6 टेराबाइट डेटा सामने आया है
जो लगभग 600 डीवीडी में आ सकता है।
पनामा पेपर्स के नाम से लीक हुए इन दस्तावेजों को सामने लाने में
मुख्य भूमिका अमेरिका स्थित एक एनजीओ खोजी पत्रकारों के
अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) की है। इनके मुताबिक इन्होंने उन
दस्तावेजों की गहरी छानबीन की, जो इन्हें किसी अज्ञात सूत्र
ने उपलब्ध करवाए थे। जांच में ढेरों फिल्मी और खेल जगत की
हस्तियों के अलावा लगभग 140 राजनेताओं, अरबपतियों की
छिपी संपत्ति का भी खुलासा हुआ है।
जांच में जो डेटा सामने आया है वह बीते 1977 से लेकर 2015 तक
लगभग 40 वर्षों का है। पनामा स्थित लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका
से लीक हुए इन दस्तावेजों को लेकर दावा किया जा रहा है कि
इनमें जिन 500 भारतीय हस्तियों के नामों का जिक्र है, उनमें से
300 नामों की पुष्टि भी की जा चुकी है। जर्मनी के एक अखबार
के मुताबिक, इस पेपर लीक से 2.6 टेराबाइट डेटा सामने आया है
जो लगभग 600 डीवीडी में आ सकता है।
आखिर क्या हैं इस लीक के
मायने?
सवाल है कि इस पेपर लीक में जिन
हस्तियों के अपने विदेशी खातों में वित्तीय लेनदेनों का खुलासा
हुआ है, क्या वह लेनदेन पूरी तरह गैरकानूनी हैं? इस बारे में ICIJ का
कहना है कि निश्चित तौर पर हो सकता है कि यह पूरी तरह
गैरकानूनी न हो, लेकिन यह इतना तो दिखाता ही है कि किस
तरह इन हस्तियों द्वारा देश के कोष को टैक्स बचाकर नुकसान
पहुंचाया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'टैक्स सेविंग फर्म्स जो सेवाएं उपलब्ध
कराती हैं, वे बेशक पूरी तरह कानूनी हैं। लेकिन ये दस्तावेज दिखाते
हैं कि बैंकों, लॉ फर्म्स और ऐसी ही अन्य एजेंसियों ने सभी
कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।'
रिपोर्ट में आगे दिया है, 'कई मामलों में पाया गया है कि इन
मध्यस्थों ने अपने क्लाइंट्स के संदिग्ध लेनदेनों को या तो छिपाया
या ऑफिशल रेकॉर्ड्स के छेड़छाड़ कर उन्हें सामने नहीं आने दिया।'
मायने?
सवाल है कि इस पेपर लीक में जिन
हस्तियों के अपने विदेशी खातों में वित्तीय लेनदेनों का खुलासा
हुआ है, क्या वह लेनदेन पूरी तरह गैरकानूनी हैं? इस बारे में ICIJ का
कहना है कि निश्चित तौर पर हो सकता है कि यह पूरी तरह
गैरकानूनी न हो, लेकिन यह इतना तो दिखाता ही है कि किस
तरह इन हस्तियों द्वारा देश के कोष को टैक्स बचाकर नुकसान
पहुंचाया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'टैक्स सेविंग फर्म्स जो सेवाएं उपलब्ध
कराती हैं, वे बेशक पूरी तरह कानूनी हैं। लेकिन ये दस्तावेज दिखाते
हैं कि बैंकों, लॉ फर्म्स और ऐसी ही अन्य एजेंसियों ने सभी
कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।'
रिपोर्ट में आगे दिया है, 'कई मामलों में पाया गया है कि इन
मध्यस्थों ने अपने क्लाइंट्स के संदिग्ध लेनदेनों को या तो छिपाया
या ऑफिशल रेकॉर्ड्स के छेड़छाड़ कर उन्हें सामने नहीं आने दिया।'
क्या है इस तरह के विदेशी खातों का मतलब?
बड़ी हस्तियां अपने निवास के देश
से बाहर जो खाते रखते हैं, उनका मकसद कई तरह के वित्तीय और
कानूनी लाभों को लेना होता है। ये विदेशी खाते अधिकतर ऐसे
देशों में रखे जाते हैं, जिन्हें 'टैक्स हैवेन' माना जाता है। इन खातों
का उपयोग पैसे को देश के बैंकिंग सिस्टम की नजर से बचाकर बाहर
ले जाने और टैक्स अथॉरिटीज़ की नज़र से बचाकर टैक्स सेविंग के
लिए किया जाता है।
बड़ी हस्तियां अपने निवास के देश
से बाहर जो खाते रखते हैं, उनका मकसद कई तरह के वित्तीय और
कानूनी लाभों को लेना होता है। ये विदेशी खाते अधिकतर ऐसे
देशों में रखे जाते हैं, जिन्हें 'टैक्स हैवेन' माना जाता है। इन खातों
का उपयोग पैसे को देश के बैंकिंग सिस्टम की नजर से बचाकर बाहर
ले जाने और टैक्स अथॉरिटीज़ की नज़र से बचाकर टैक्स सेविंग के
लिए किया जाता है।
लिस्ट में किस-किस का नाम है?
ICIJ का कहना है कि वह जल्द ही ऐसी हस्तियों की पूरी लिस्ट
जारी करेगी। सबूत के तौर पर इनके ई-मेल्स, फाइनैंशल डॉक्युमेंट्स और
पासपोर्ट आदि को भी सामने लाया जाएगा। हालांकि अभी
जिन हस्तियों के नाम सामने आए हैं, वे भी कम चौंकाने वाले नहीं
हैं। इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, यूक्रेन के
राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का
नाम प्रमुख है।
इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता
जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है। हालांकि
इन हस्तियों ने ऐसा कर कोई गैर-कानूनी काम किया है, इस बारे में
पेपर्स में कुछ नहीं कहा गया है।
ICIJ का कहना है कि वह जल्द ही ऐसी हस्तियों की पूरी लिस्ट
जारी करेगी। सबूत के तौर पर इनके ई-मेल्स, फाइनैंशल डॉक्युमेंट्स और
पासपोर्ट आदि को भी सामने लाया जाएगा। हालांकि अभी
जिन हस्तियों के नाम सामने आए हैं, वे भी कम चौंकाने वाले नहीं
हैं। इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, यूक्रेन के
राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का
नाम प्रमुख है।
इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता
जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है। हालांकि
इन हस्तियों ने ऐसा कर कोई गैर-कानूनी काम किया है, इस बारे में
पेपर्स में कुछ नहीं कहा गया है।