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लोकसभा में आधार बिल पास, विपक्ष ने बताया 'साजिश'

लोकसभा ने शुक्रवार को आधार बिल 2016 पास कर दिया। विपक्ष ने इस बिल को
मनी बिल की तर्ज पर लोकसभा में पेश किए जाने को सरकार
की साजिश बताया है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि
अगर सरकार आधार बिल के लिए मनी बिल का रास्ता अपनाती
है, तो राज्यसभा काफी कमजोर हो जाएगी। उन्होंने आरोप
लगाया कि राज्यसभा को निष्क्रय करने की दिशा में यह पहला कदम होगा।
इसके पहले, बिल को लेकर कुछ सांसदों की आशंकाओं को खारिज करते
हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इसका मकसद आम
लोगों और गरीबों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।
बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा, 'इसमें कोई
छिपी हुई मंशा नहीं है और गोपनीयता बनाए रखने
को इंतजाम भी किए गए हैं।'
जेटली ने कहा कि इस बिल की संकल्पना पिछली
यूपीए सरकार की है, लेकिन तब भी
गोपनीयता और अन्य विषय उठे थे। उन्होंने कहा कि इन सभी
विषयों पर गंभीरता से विचार किया गया है और बिल में चैप्टर 6 जोड़ा गया
है, जिसमें गोपीयता सुनिश्चित करने की बात कही गई
है।
जेटली ने बताया, 'बायॉमेट्रिक डेटा व्यक्ति की सहमति से साझा
नहीं किया जा सकता। प्राइवेट एजेंसी को भी सूचना
लीक न करने का प्रावधान किया गया है।' उन्होंने कहा कि इस बिल का
मकसद राज्यों को सशक्त बनाना है ताकि वे लोक कल्याणकारी योजनाओं का
लाभ गरीबों तक पहुंचा सके। जेटली ने कहा कि इस बिल पर
लगभग आम सहमति है, इसलिए इसे पारित किए जाने की तत्परता है।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार को लोकसभा में बहुमत प्राप्त है, इसलिए
सभी बिल यहां पास कराकर राज्यसभा को निष्क्रिय करने की
साजिश हो रही है। विपक्ष ने कहा कि सरकार राज्यसभा में अल्पमत में
है, इसीलिए उसे वहां विधेयक पास कराने में दिक्कत हो रही
है। जेटली ने कहा, 'अगर कांग्रेस इस बिल का कॉपीराइट
चाहती है तो मैं उन्हें यह देने को तैयार हूं, लेकिन वे इस बिल को लटकाएं
नहीं।'
बीजू जनता दल के सांसद भर्तृहरि माहताब ने कहा कि इस बिल को लेकर
जल्दबाजी न की जाए और मांग की कि इस बिल को
पार्ल्यामेंट्री पैनल के पास भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस ने भी
बीजेडी की मांग का समर्थन किया और विपक्ष के
नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हम इस बिल के साथ हैं, लेकिन हमारे कुछ सुझाव
भी हैं।' बिल पास होने से नाराज विपक्ष अब राष्ट्रपति का दरवाजा
खटखटाने पर विचार कर रहा है।
क्या है मनी बिल का मसला?
दरअसल, यह पूरा हंगामा मनी बिल को लेकर है। अगर मनी
बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो राज्यसभा में उस पर तत्काल चर्चा
होनी चाहिए। हालांकि, राज्यसभा में बिल पर सिर्फ चर्चा हो
सकती है, इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। इसके
अलावा, अगर राज्यसभा में इस पर चर्चा नहीं होती तो
भी इसे 14 दिन बिल को पास मान लिया जाता है।