पांच राज्यों में चुनाव से पहले ही बिहार में एनडीए पर खतरा मंडराने लगा है। भाजपा से उसके तीनों घटक दल लोजपा, हम और रालोसपा नाराज हैं। तीनों दल पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें कर भाजपा की भूमिका पर सवाल खड़े कर चुके हैं। अपनी हानि और लाभ के आधार पर भविष्य की बुनियाद गढ़ने में जुट गए हैं। तीनों दल आपस में विलय भी कर सकते हैं।
चर्चा यह भी है कि एनडीए के ये तीनों दल पश्चिम बंगाल और फिर अगले साल यूपी में होने वाले चुनाव में एनडीए से अलग होकर स्वतंत्र रूप से मैदान में उतर सकते हैं। ये तीनों दल किसी नए दल से तालमेल भी कर सकते हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा का इस संबंध में नाम लिया जा रहा है। हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बसपा प्रमुख मायावती की कई बार तारीफ कर चुके हैं। वे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी रालोसपा मिशन 2017 के जरिए करने जा रही है। 15 अपै्रल को केंद्रीय राज्य मंत्री व रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा मिशन का उत्तर प्रदेश में श्रीगणेश करेंगे। मिशन के जरिए कुशवाहा, सैनी, मौर्या, शाक्या, दलित और अल्पसंख्यक समाज में पहुंच बनाना है। इसके लिए पार्टी की तरफ से एक टॉल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। लोजपा ने अभी तक उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर अपना पत्ता नहीं खोला है, मगर उसकी नजर इन दो राज्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि असम और पंजाब पर भी है। पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को फिलहाल ये तीनों दल भाजपा से अलग होकर अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।
इसके मद्देनजर लोजपा, हम और रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमवार को हम के प्रदेश अध्यक्ष वृशिण पटेल के वैशाली के फार्म हाउस पर एकत्रित हुए। इस बैठक में तीनों दलों के कई बड़े नेता भी मौजूद थे। इससे पहले दिल्ली में दो-दो बार तीनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष आपस में मंत्रणा कर चुके हैं। तीनों दलों के नेताओं ने बिहार में भाजपा द्वारा सशक्त विपक्ष की भूमिका नहीं निभाने पर नाराजगी जाहिर करने और अपनी आपत्ति भाजपा के समक्ष व्यक्त करने का निर्णय लिया गया है।
ये चाहते हैं कि भाजपा सड़क पर उतर कर नीतीश सरकार के खिलाफ आंदोलन करे। अगर भाजपा राज्य सरकार की नीति का जोरदार तरीके से विरोध नहीं करती है तो तीनों दल भाजपा को साथ लिए बिना ही सरकार का विरोध करेंगे। वहीं रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार ने कहा है कि भाजपा के बिना भी आंदोलन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। तीनों दल एक ही विचारधारा के हैं और अगर इनका विलय हो जाता है तो अच्छा ही होगा। भाजपा से कोई नाराजगी नहीं है।