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'यह महिला आयोग है बेचारा आयोग नहीं'

दिल्ली पुलिस और दिल्ली महिला आयोग
(डीसीडब्ल्यू ) के बीच तनातनी
बढ़ती जा रही है। दिल्ली पुलिस ने
राजधानी में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों से संबंधित डेटा देने से मना
किए जाने पर डीसीडब्ल्यू ने नाराजगी जाहिर
की है।
आयोग ने दिल्ली पुलिस के आलाकमान को पत्र के जरिए याद दिलाया है कि
महिला आयोग अधिनियम का गंभीरता से स्टडी करें और आयोग
के पावर को जान लें। महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस का ध्यान
आईपीसी की धारा 176 की ओर ध्यान
दिलाया है, जिसमें महिला आयोग को सूचना नहीं देना अपराध है और इसके
तहत एक महीने की सजा और जुर्माना भी हो
सकता है।
डीसीडब्ल्यू ने अपने पत्र में लिखा है कि महिला आयोग कोई
बेचारा आयोग नहीं है, अगर 8 फरवरी तक सूचना
नहीं मिली तो आयोग सिविल कोर्ट के पावर का भी
इस्तेमाल करेगा।
डीसीडब्ल्यू ने कमिश्नर को लिखे पत्र में 2010 में लिए गए
गए एक फैसले पर ध्यान दिलाया है, जिसमें डॉक्टर अनिल सेठ बनाम
दिल्ली महिला आयोग के जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता
की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दिल्ली
महिला आयोग के पास समन जारी करने के साथ साथ सिविल कोर्ट के
भी पॉवर हैं। आयोग का कहना है कि डेटा उपलब्ध कराने के लिए आयोग
की तरफ से जो समन जारी किया गया था, वह 8
फरवरी तक चार बजे तक जारी है।
दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि यह कोई
अहम की लड़ाई नहीं है, महिलाओं की सुरक्षा
की लड़ाई है। पिछले छह महीने से महिला आयोग
दिल्ली पुलिस से महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े आंकड़ों
की सूचना मांग रहा है। आयोग पुलिस को अभी तक चार पत्र
और दो नोटिस दे चुका है। तीन बार दिल्ली पुलिस कमिश्नर
भीमसेन बस्सी से मिलकर से यह सूचना मांगी जा
चुकी है लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस
की ओर से महिला आयोग को पूरी जानकारी
नहीं दी गई है। जो जानकारी दी है उसके
अनुसार 2014 में महिलाओं के साथ हुए कुल अपराधों में 47.05 एफआईआर में
अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है और
चार्जशीट फाइल नहीं हुई है। साल 2014 में महिलाओं के
होने वाले अपराध में मात्र 9 केस में अपराधियों को सजा मिली है। 2012 से
अब तक मात्र 146 केस में लोगों को सजा हुई है।