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पठानकोट एयरबेस में आंतकियों को घर के भेदी ने घुसाया था

सुरक्षा एजेंसियों को जिस बात की आशंका थी, वह राष्ट्रीय
सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) की जांच में सच साबित होती दिख रही
है। पिछले महीने पठनकोट में वायुसेना एयरबेस पर हुए हमले की
एनआईए की जांच अब इस दिशा में बढ़ गई है कि भेदिया कोई
भीतर से ही था और उसने आतंकियों को भीतर घुसने में मदद की
थी।
एनआईए अब इस लीड पर काम कर रही है कि एयरबेस की 10 फीट
लंबी दीवार के ऊपर लगी कंटीली बाड़ को भीतर से ही काटा
गया था। कटने के बाद तार जिस तरह से फैले मिले हैं, उससे इस बात के
संकेत मिल रहे हैं कि इन्हें भीतर से किसी ने काटा था। जांच एजेंसी
के एक सूत्र ने बताया, 'अंदर और बाहर से काटने पर तार की अवस्था
और स्थिति अलग-अलग होगी।'
हमले के तुरंत बाद ही इस स्थान का मुआयना करने के बाद शंका
जताई गई थी कि हमलावर आतंकियों ने नहीं बल्कि भीतर से उनके
किसी मददगार ने बाड़ को काटा है। दरअसल, जहां की बाड़
काटी गई है, वहां की लाइट काम नहीं कर रही थी। घुसपैठ के लिए
इस जगह को चुनने की वजह से यह साफ है कि इसमें कोई ऐसा शख्स
जरूर शामिल था, जिसे पता हो कि इस इलाके में अंधेरा होगा।
जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया, हम बाड़ का फॉरेंसिक टेस्ट करा
रहे हैं ताकि वैज्ञानिक तौर पर यह स्थापित कर सकें कि इसे अंदर
से ही काटा गया था। उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट इस बात
का पहला ठोस आधार होगा कि बाड़ को अंदर से काटा गया
था। सूत्रों ने बताया कि एनआईए यह स्थापित करने के लिए बहुत
शिद्दत से काम कर रही है कि एयरबेस में घुसपैठ कराने में किसी
भीतरी शख्स का हाथ था या नहीं।
जांच के अंतिम पड़ाव पर एनआईए एयरबेस के भीतर से की गईं कॉल्स
के रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है। एयरबेस में रहने वाले परिवारों से
भी पूछताछ की जा रही है कि क्या उन्होंने घुसपैठ की जगह के
आसपास कोई संदिग्ध गतिविधि देखी थी।
बाड़ काटने के अलावा दूसरे साक्ष्य भी किसी भेदिये के शामिल
होने का संकेत दे रहे हैं। जिस जगह आतंकी बाहरी दीवार को पार
करके घुसे वह एकदम फायरिंग रेंज के सामने था। वहां बाहरी दीवार
के 4-5 फीट बाद ही फायरिंग रेंज की गोलियों को रोकने के
लिए एक काफी मोटी और ऊंची दीवार थी। आतंकी इसके और
कैंपस की दीवार के बीच में छिप गए और किसी भी पोस्ट से नहीं
दिखाई दिए। इस तरह वे 22 घंटे तक छिपे रह सके।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि एयरबेस के की 25-26
किलोमीटर की परिधि में यही एक हिस्सा था, जहां
सुरक्षाकर्मी गश्त नहीं लगा रहे थे। इससे भी आतंकियों को अपना
काम करने में आसानी हुई।