पठानकोट एयर फोर्स बेस में एक आतंकवादी के शव के पास पड़े ग्रेनेड
को हटाते समय हुए विस्फोट में नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स के बम
डिस्पोजल स्क्वॉड के लेफ्टिनेंट कर्नल ई के निरंजन की मृत्यु होने के
करीब एक महीना पहले केंद्र सरकार ने बम डिफ्यूज करने
के काम में सर्विलांस रोबॉट्स के लिए नए क्वॉलिटी स्टैंडर्ड्स को अंतिम रूप
दे दिया था।
सूत्रों ने बताया कि एनएसजी के ऐसे कुछ रोबॉट्स फंक्शनल
नहीं हैं। उन्होंने बताया कि अब ये सवाल भी गृह मंत्रालय में
उठ रहे हैं कि दो वील और चार वील वाले ऐसे रोबॉट्स का
इस्तेमाल पठानकोट में क्यों नहीं किया गया। पिछले साल
एनएसजी के स्थापना दिवस समारोह में इन रोबॉट्स को गृह
मंत्री राजनाथ सिंह को दिखाया गया था। इन रोबॉट्स का इस्तेमाल बम और
विस्फोटकों की पहचान करने में किया जाता है ताकि ऐसे ऑपरेशंस के दौरान
मानव जीवन को हो सकने वाला जोखिम घटाया जा सके।
गृह मंत्रालय ने ईटी के इन सवालों का जवाब नहीं दिया कि इन
आरओवी को पठानकोट ले जाया गया था या नहीं और ले जाया गया
था तो वहां इनका इस्तेमाल किया गया था या नहीं। एनएसजी के
पूर्व चीफ अरविंद रंजन ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा,
'एनएसजी के पास ऐसे रोबॉट हैं। मैं किसी खास मामले पर कॉमेंट
नहीं कर सकता हूं, लेकिन एनएसजी में हमने इस बात
की पूरी प्रक्रिया तैयार की थी कि किस
तरह बम की पहचान की जाए और उसे किस तरह निष्क्रिय
किया जाए।'
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्र
सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि नैशनल सिक्यॉरिटी
गार्ड्स ने अपने बम डिस्पोजल स्क्वॉड के पास मौजूद इस उपकरण का उपयोग क्यों
नहीं किया। सरकार यह भी देख रही है कि
पठानकोट एयरबेस पर अटैक के मामले में एनएसजी के नियमों के मुताबिक,
'सेफ प्रोसिजर ड्रिल' का पालन किया गया या नहीं।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
'एनएसजी के पास करीब दो दर्जन वर्ल्ड क्लास बम
प्रोटेक्शन सूट्स हैं, लेकिन उनका प्राय: इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
बमों की पहचान कर लिए जाने के बाद उन्हें टेलिस्कोपिक मैनिपुलेटर और
एक टोटल कंटेनमेंट वीइकल के जरिए डिफ्यूज किया जाता है। अब देखा जा
रहा है कि पठानकोट में यह प्रक्रिया अपनाई गई थी या नहीं।'
बम डिस्पोजल इक्विपमेंट पर टेक्निकल एक्सपर्ट्स के एक सब-ग्रुप ने 15 और
19 नवंबर को दो पहियों और चार पहियों वाले सर्विलांस रोबॉट्स खरीदने
की क्वॉलिटेटिव जरूरत को फाइनल किया था। ये मूलत: मिनी-
रोबॉट्स होते हैं, जिन्हें रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है। ये विडियो और ऑडियो
रेजोनेंस के जरिए बम की पहचान करते हैं। ये सीढ़ियों पर चढ़
सकते हैं और छोटी-मोटी बाधाओं को पार कर सकते हैं। यह
बात गृह मंत्रालय की ओर से जारी वेंडर डॉक्युमेंट्स में
कही गई थी। ये रोबॉट्स इस तरह डिजाइन किए गए होते हैं कि
इनका इस्तेमाल पोल कैमरा पर किया जा सकता है ताकि देखा दीवारों के ऊपर
और खिड़कियों से देखा जा सके।
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