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दलित छात्र की खुदकुशी के बाद तनाव, केंद्रीय मंत्री के खिलाफ केस

हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पीएचडी के दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी के बाद केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और यूनिवर्सिटी के वीसी अप्पा राव के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्र संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और माहौल बेहद तनावपूर्ण है। छात्रों ने सवाल उठाया है कि केंद्रीय मंत्री को यहां के मामले में दखल देने की क्या जरूरत थी? माहौल को देखते हुए वहां भारी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने वेमुला का शव पोस्टमॉर्टम के लिए लेने पहुंची पुलिस को भी रोकने की कोशिश की। वे 'पुलिस लौट जाओ' के नारे लगा रहे थे। उन्होंने शव को कमरे में बंद कर दिया, लेकिन पुलिस वहां तक पहुंचने में कामयाब रही और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया।
छात्रों का आरोप है कि पिछले साल अगस्त में एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के कार्यकर्ताओं से झड़प के कारण इन 5 स्टूडेंट्स को निकाला गया। आरोप है कि यह सब दिल्ली यूनिवर्सिटी में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ।

छात्र वीसी और केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इन दोनों की मिलीभगत से ही आम्बेडकर स्टूडेंट्स असोसिएशन (एएसए) के 5 छात्रों को निकाला किया गया। छात्र समूहों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने कहा कि वेमुला हॉस्टल से सस्पेंड होने और बाद में निकाले जाने के कारण काफी निराश था। उसका सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया गया था, जिसके कारण वह हताश हो गया था। वेमुला ने रविवार शाम फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।
वेमुला न्यू रीसर्च स्कॉलर्स हॉस्टल के एक कमरे में फांसी के फंदे से लटकता मिला। उसके कमरे से 5 पन्नों का एक सूइसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने लिखा है कि कैसे वह हमेशा सितारों को देखता था और एक दिन प्रतिष्ठित टीचर बनने का सपना देखता था।
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के रहने वाले वेमुला को यूजीसी से जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) भी मिला था, लेकिन अपने सुइसाइड नोट में उसने लिखा है कि पिछले 6 महीने से उसे जेआरएफ फंड नहीं मिला। वेमुला अपने साथ निकाले गए 4 अन्य छात्रों के साथ पिछले 15 दिनों से यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन कर रहा था। वे पांचों निकाले जाने के विरोध में खुले में सो रहे थे। इन लोगों को दिसंबर में सस्पेंड किया गया था। उन्हें यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों और अन्य इमारतों में जाने से भी रोक दिया गया था।