भारतीय वायु सेना के पठानकोट बेस पर हमला करने वाले छह आतंकियों ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयरफोर्स बेस पर इसकी ट्रेनिंग ली थी। शीर्ष खुफिया अधिकारियों के मुताबिक इन आतंकियों ने नूर खान एयरबेस में कम से कम चार बार मॉक ऑपरेशन किया था। इसके अलावा पाकिस्तान के पंजाब में बहवालपुर में भी इनकी ट्रेनिंग हुई थी।
माना जा रहा है कि चार आतंकियों की बहवालपुर में ट्रेनिंग हुई थी। बाकी दो आतंकियों की नूर खान एयरबेस में कड़ी ट्रेनिंग हुई थी। इन्होंने हमले की सफलता सुनिश्चित करने के लिए चार मॉक ड्रिल को भी अंजाम दिया था।
इस मॉक ड्रिल में आतंकियों ने चेकिंग पॉइंट्स को पार करने से लेकर पूरे एयरबेस को अपने कब्जे में लेने की ट्रेनिंग ली थी। इसके अलावा हथियार चलाने और हाथों से लड़ने का भी प्रशिक्षण दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक इन्हें किसी भी हालत में गिरफ्तार होने के बजाए खुद को उड़ा लेने के सख्त निर्देश दिए गए थे। एक शीर्ष अधिकारी ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'आतंकियों के हमले से पता चलता है कि उनकी सैनिकों की तरह ट्रेनिंग हुई थी। अभी यह पता नहीं चल सका है कि वह पाकिस्तानी सेना या एयरफोर्स के पूर्व सदस्य तो नहीं थे।'
बीएसएफ के पूर्व डायरेक्टर जनरल ईएन राममोहन ने कहा है, 'मेरा मानना है कि मोदी की पाक यात्रा से आईएसआई खुश नहीं थी। इस हमले के जरिए शायद दोनों पीएम को बताया गया है कि वे दोनों देशों के रिश्ते के प्रोटोकॉल के उल्लंघन की कोशिश न करें। हो सकता है कि पठानकोट हमला पहले से उनकी लिस्ट में रहा हो, पर पीएम के लाहौर दौरे के बाद इसे आगे खिसका दिया हो।' सुरक्षा विशेषज्ञों को शक है कि पठानकोट एयरबेस में मिले भारी हथियार छह आतंकियों के एयरबेस में आने से पहले ही वहां पहुंचा दिए गए हों। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है, 'छह लोग इतनी भारी संख्या में हथियार नहीं ला सकते हैं। हो सकता है कि ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही हथियार वहां पहुंचा दिए गए हों।' आतंकियों के लाए गए हथियारों से पता चलता है कि उन्हें मॉडिफाई भी किया गया था। एके-47 को बदलकर मोर्टार लॉन्चर या अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर बनाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, इससे वे हथियार प्रभावी नहीं रह गए थे।
मुंबई हमले से छह समानताएं विशेषज्ञ इस हमले और मुंबई हमले में काफी समानताएं देख रहे हैं। मुंबई में भी एक आतंकी को 72 घंटों बाद खत्म किया जा सका था। पठानकोट में भी 68 घंटे बाद तक आतंकी मोर्चा संभाले हुए थे। दूसरी समानता यह है कि मुंबई की तरह पठानकोट के हमलावरों ने आने के लिए पानी के रास्ते यानी पंजाब की नहरों-नदी का इस्तेमाल किया हो। तीसरी समानता यह है कि दोनों जगह के हमलावरों ने गाड़ी हाइजैक कर ड्राइवरों को मारा और अपने गंतव्य तक पहुंचे। चौथी समानता यह है कि दोनों हमलावरों की पाकिस्तान में ट्रेनिंग हुई थी। पांचवीं समानता यह है कि दोनों हमलावर अपने साथ भारी संख्या में हथियार लेकर आए थे। छठी समानता यह है कि दोनों हमलों के बारे में पहले से खुफिया जानकारी हासिल थी, पर इन्हें रोका नहीं जा सका।
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