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'जिन पर नाज़ है हिंद को...'

मैं यहां पद्म पुरस्कारों की आलोचना नहीं करूंगा, ताकि यदि
मुझे पुरस्कार मिले तो आप ये लेख निकालकर मेरा मज़ाक न
उड़ा सकें.
ये शब्द भले मेरे न हों लेकिन भावनाएं मेरी हैं. हर साल की तरह
सोशल मीडिया पर पद्म पुरस्कारों की चीरफाड़ अभी कुछ दिन
जारी रहेगी.
ऐसे में शायद ये बेहतर होगा कि कुछ ज़्यादा काबिल लोगों के नाम
देखे जाएं और कुछ उनके भी जो शायद उतने काबिल नहीं दिखते...
'सहिष्णु भारत' के पक्ष में मार्च करने वाले अनुपम खेर, मधुर भंडारकर
और मालिनी अवस्थी को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार ज़रूर
मिलेगा लेकिन कई लोगों को रवीना टंडन से भी सहानुभूति है.
रवीना का नाम लिस्ट में नहीं है. हालांकि प्रियंका चोपड़ा को
पद्म सम्मान दिया जा रहा है.
तमिलनाडु में चार महीने में चुनाव है और रजनीकांत को भले ही ये
ध्यान में रखकर पद्मविभूषण के लिए न चुना गया हो, लेकिन एक संदेश
ज़रूर जाएगा.
पद्म पुरस्कारों की लिस्ट में सबसे अमीर भारतीय मुकेश अंबानी के
पिता दिवंगत धीरूभाई अंबानी का नाम है, दूसरे सबसे अमीर
भारतीय सन फ़ार्मा के मालिक दिलीप संघवी का.
साथ में आयरलैंड की नागरिकता ले चुके पलोन जी शपूर जी
मिस्त्री को भी पद्म सम्मान मिलेगा. पलोन जी शपूर जी टाटा
के चेयरमैन साइरस मिस्त्री के पिता हैं. और इन्हें घुलने-मिलने से बचने
के स्वभाव की वजह से फ़ैंटम ऑफ़ द बॉम्बे हाउस (टाटा का
मुख्यालय) भी कहा जाता है.
पुरस्कार देने वालों ने कंफ़्यूज़न का कोई मौका नहीं छोड़ा.
साइना और सानिया दोनों को दे दिया, साथ में दीपिका को
भी. पुरुष खिलाड़ियों को पद्म पुरस्कार नहीं मिला, शायद
उनका नंबर अगली बार आ जाए.
बात उन लोगों की जिनको पद्म पुरस्कार मिला पर ज़्यादा
लोगों की नज़र नहीं गई लेकिन उपलब्धियां वाकई छोटी नहीं
दिखतीं.
खान एकैडमी वाले सलमान ख़ान का नाम लिस्ट में है तो एम
अन्नादुरई का भी. सलमान ख़ान लाखों छात्रों तक इंटरनेट के
ज़रिए बेहतरीन शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहे हैं तो इसरो के
वैज्ञानिक अन्नादुरई को भारत के मंगल यान के पीछे का दिमाग़
समझा जाता है.
कुछ अलग किस्म के नाम भी हैं. लज़ीज़ तंदूरी खाना बनाने के लिए
मशहूर शेफ़ इम्तियाज़ क़ुरैशी हैं, मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर सुशील दोशी
हैं और शायद पहली बार पीयूष पांडे के रूप में एडवर्टाइज़िंग के लिए
किसी को चुना गया है. पीयूष पांडे ने ही 2014 में 'अब की बार
मोदी सरकार' का नारा गढ़ा था.
कुछ सवालों के जवाब नहीं मिले. जैसे कि होम्योपैथी के डॉक्टरों
को पुरस्कार देकर इसे बढ़ावा देने का क्या मतलब?
वो भी तब जब नोबेल विजेता वी रामाकृष्णन जैसे वैज्ञानिक
होम्योपैथी को बोगस बता रहे हों.
ये भी पता नहीं चला कि करोड़ों संतों वाले मुल्क में कुछ संतों के
अध्यात्म को सरकार ने कैसे नाप लिया कि उन्हें पद्म के लायक
समझ लिया गया. और बाकी को क्यों छोड़ दिया?
और हां, सवाल से याद आया कि एसएस राजामौली को भी
पद्मश्री मिलेगा लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आपको ये जल्दी
पता चल जाएगा कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा.