कांग्रेस ने बैंकॉक में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा
सलाहकारों की गोपनीय मुलाकात को मोदी सरकार का 'बहुत
बड़ा धोखा' करार दिया और कहा कि यह दिखाता है कि
सरकार की पाकिस्तान नीति में कितना 'ढुलमुल' है। कांग्रेस नेता
मनीष तिवारी ने कहा, 'यह बहुत बड़ा धोखा है। इस सरकार ने
सार्वजनिक तौर पर जो भी बातें कही थी, यह उन सबसे धोखा है।'
बैंकॉक में NSA अजित डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष
नासिर जांजुआ की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने
कहा कि पहले एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने के बाद वार्ता
रद्द करने के बाद अब गुपचुप मुलाकातें की जा रही हैं। उन्होंने कहा,
'यदि आप इस सरकार के पिछले 18 महीनों के ट्रैक रेकॉर्ड को देखें
तो उनकी पाकिस्तान नीति बेतुकी, उलट-फेर वाली, ढुलमुल और
180 डिग्री यू-टर्न वाली रही है।'
तिवारी ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री और पाकिस्तान के
तत्कालीन NSA में जुबानी जंग के बीच अब अचानक बिना किसी
उकसावे के, बगैर देश को बताए हुए कि सितंबर, 2015 और दिसंबर,
2015 के बीच क्या बदल गया, सरकार ने फिर से बातचीत करने का
फैसला किया और वह भी बैंकॉक में।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि बातचीत इतनी ही जरूरी थी तो
सरकार को इसके पीछे का तर्क बताना चाहिए था और नई
दिल्ली या इस्लामाबाद में बातचीत करनी चाहिए थी।
बहरहाल, BJP प्रवक्ता नलिन कोहली ने NSA वार्ता का समर्थन
करते हुए कहा कि यह उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके
पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बयान की भावना के
अनुरूप हुआ है।
कोहली ने कहा कि मीडिया की नजर और भारत-पाक संबंध को
लेकर पैदा होने वाले उत्साह से बचने के लिए बैंकॉक में बातचीत की
गई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वार्ता का
स्वागत करते हुए कहा कि मीडिया की चकाचौंध से दूर रहकर
बातचीत करने से 'मौन प्रगति' हो सकती है। भारत और
पाकिस्तान ने वार्ता प्रक्रिया बहाल की, यह देखकर अच्छा
लगा।
इस बीच, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई NSA वार्ता 'ज्यादा उत्साह'
पैदा नहीं करती क्योंकि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से
ढुलमुल रवैया अपनाया गया है। सुरजेवाला ने कहा, 'इसके अलावा,
यह वाजिब चिंताएं पैदा करती हैं कि क्या यह मौजूदा
राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के साथ-साथ व्यापक कृषि
संकट से देश का ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं है।'