BJP सांसद कीर्ति आजाद पिछले आठ साल से DDCA में
भ्रष्टाचार का मसला उठा रहे हैं। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी
पार्टी ने भी DDCA के इस कथित भ्रष्टाचार में मौजूदा वित्त
मंत्री अरुण जेटली की भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। DDCA में
जेटली की कथित भूमिका के सवाल पर BJP सांसद कीर्ति झा
आजाद ने न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को एक इंटरव्यू में बताया, 'यह
DDCA में करप्शन का मामला है। मेरे साथ बिशन सिंह बेदी, मनिंदर
सिंह और सुरेंदर खन्ना जैसे पूर्व क्रिकेटर भी शामिल हैं। ये लोग
समय-समय पर भ्रष्टाचार को लेकर लिखते रहे हैं।'
गुरुवार को आम आदमी पार्टी ने भी DDCA में अरुण जेटली की
भूमिका पर बड़ा खुलासा करने का दावा किया है। उधर, कांग्रेस
ने भी जेटली से वित्त मंत्री के पद से इस्तीफे की मांग की है।
कीर्ति ने एनडीटीवी को बताया कि CBI ने 40 दिन पहले DDCA
को नोटिस भेजा है और इनसे 40 सवाल पूछे गए हैं। CBI के सवालों
की फेहरिस्त में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति से लेकर टेंडर की
प्रक्रिया तक से जुड़े सवाल हैं। कीर्ति ने DDCA पर आरोप लगाया
है कि 14 फर्जी कंपनियों को 87 करोड़ रुपया दिया गया।
उन्होंने कहा, 'स्टेडियम बनाने वाली कंपनी ने 24 करोड़ में होने
वाले काम को 57 करोड़ में पूरा किया।' कीर्ति कहते हैं कि इस
पैसे का कोई हिसाब ही नहीं है कि यह किन मदों में खर्च हुआ।
कीर्ति ने साफ तौर पर यह कहा है कि यह जिस समय की बात है,
उस समय DDCA के अध्यक्ष अरुण जेटली ही थे। उन्होंने कहा कि
जानकारी दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसी सिलसिले में आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों के
जवाब में वित्त मंत्री ने कहा है कि ये अस्पष्ट आरोप हैं और वह
साफ तौर पर कुछ कहे जाने की सूरत में ही जवाब देंगे। कीर्ति
आजाद ने एनडीटीवी को बताया कि चिट्ठियों पर कार्रवाई न
होने पर उन्होंने यह मुद्दा संसद में उठाया।
उन्होंने कहा कि संसद में मुद्दा उठने पर कंपनी मामलों के मंत्रालय ने
इसे जांच के लिए सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिस (SFIO) के
पास भेज दिया। SFIO ने DDCA को 42 बिंदुओं पर दोषी पाया।
SFIO ने ही बताया कि कहां-कहां टेंडर नहीं बुलाया गया और
कहां-कहां कागज नहीं दिए गए। कीर्ति ने इसे साफ तौर पर DDCA
की चोरी और सीनाजोरी का मसला बताया है।
कीर्ति का दावा है कि DDCA के भ्रष्टाचार से जुड़े सारे
दस्तावेज उनके पास हैं। कीर्ति कहते हैं कि अगर इन आरोपों में
सच्चाई न होती तो SFIO और CBI की जांच न होती। जो
भ्रष्टाचार में शामिल हैं, उन्हें DDCA से बाहर होना चाहिए।
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