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कीर्ति आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीडीसीए

डीडीसीए में केंद्रीय वित्त
मंत्री अरुण जेटली के कथित भ्रष्टाचार पर खुलासे का दावा
करने वाले पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद कीर्ति
आजाद ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कीर्ति आजाद ने
डीडीसीए में पैसों की हेराफेरी
का आरोप लगाते हुए 30 दिसंबर 2012 को हुई सालाना एजीएम
की मीटिंग का विडियो भी दिखाया जिसमें वह उनके
सामने करप्शन का मामला उठा रहे हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत करते हुए पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि वह
पीएम नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े फैन हैं और वह जो कर रहे
हैं उसे कोई व्यक्तिगत न ले। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका
किसी से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है और वह भ्रष्टाचार के
विरोधी हैं।
रविवार को लगभग 4 बजे शुरू की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कीर्ति
आजाद ने शुरुआत एक विडियो से की गई। यह विडियो विकिलीक्स
फॉर इंडिया और सन स्टार नैशनल हिंदी डेली नामक अखबार ने
मिलकर बनाया था। विडियो में दावा किया गया था कि
बीसीसीआई से मिलने वाले करोड़ों रुपयों में
डीडीसीए ने हेराफेरी की
थी। मसलन डीडीसीए ने एक प्रिंटर किराए
पर लिया जिसका तीन हजार रुपये किराया एक दिन का था, एक लैपटॉप का
किराया एक दिन का 16 हजार रुपये था और पूजा की एक थाली
पांच हजार रुपये की थी, इसके अलावा भी विडियो में
बताया गया था कि 14 कंपनियां ऐसी थीं जिनका पता या जानकारियां
गलत थीं और उनको DDCA ने करोड़ों रुपये बिना जांच पड़ताल के दे दिए
थे।
विडियो में विशेषज्ञ के तौर पर कीर्ति आजाद और बिशन सिंह
बेदी जैसे पूर्व क्रिकेटर डीडीसीए के
भ्रष्टाचार पर बोल रहे थे। विडियो के बाद कीर्ति आजाद ने बोलना शुरू किया
और उन्होंने भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए, नीचे पढ़ें -
- फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में निर्माण के लिए बिना जांच और टेंड के ठेके दिए गए।
- दिसंबर 2008 में इंजिनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को काम दिया गया
और काम 24 करोड़ से 57 करोड़ रुपये हो गया, इसके बाद कई कंपनियां आ गईं और
उनको करोड़ों रुपये दे दिए गए लेकिन उन्हें नेचर ऑफ वर्क नहीं बताया
गया।
- ऐडवोकेट यूके चौधरी डीडीसीए के
मेंबर्स के लिए केस लड़ते थे और कंपनी लॉ बोर्ड में भी केस
लड़ रहे थे। 16वीं लोकसभा में लोक अदालत में उन्हें मेंबर बना दिया गया।
कीर्ति आजाद का कहना है कि यह कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट का मामला
है।
- फायदा लेने वाले लोग वही रहते थे बस कंपनियां बदल जाती
थीं। जिन कंपनियों को पेमेंट हुई उनके पते जांच में फर्जी
निकले।
कीर्ति आजाद ने डीडीसीए को
लीगल इंस्टिट्यूट ऑफ करप्शन कहते हुए कहा जिसको
डिग्री चाहिए हो वह यहां से ले सकते हैं। कीर्ति ने कहा कि
डीडीसीए के भ्रष्टाचार की जांच
सीबीआई के साथ इसकी जांच एन्फॉर्समेंट
डायरेक्टरेट समेत डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंट को दे दी
जानी चाहिए।
कीर्ति आजाद ने पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुण
जेटली का नाम नहीं लिया लेकिन उनके साथी अकाउंटेंट
समीर बहादुर ने अरुण जेटली, चेतन चौहान, नरेंद्र बत्रा समेत
8 लोगों पर आरोप लगाया कि यह सभी भ्रष्टाचार के आरोपी हैं
क्योंकि हो रहे भ्रष्टाचार पर इन्होंने इस पर चुप्पी साध रखी
थी। 30 दिसंबर 2012 को हुई डीडीसीए
की ऐनुअल जनरल मीटिंग का विडियो भी इस दौरान
दिखाया गया जिसमें समीर बहादुर और कीर्ति आजाद ने करप्शन
का मामला अरुण जेटली के सामने उठाया था। विडियो में कीर्ति
आजाद ने अरुण जेटली को उनकी 28 करोड़ की
कंपनी पर सवाल पूछा था। साथ ही कागजातों और अकाउंट्स में
गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए फाइनैंशल मैन्युअल की मांग
की थी।