कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी
की अदालत में पेशी को लेकर नेशनल हेरल्ड मामला फिर
सुर्ख़ियों में है.
ये मामला नेशनल हेरल्ड अख़बार से जुड़ा है जिसकी स्थापना 1938
में जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का
मुखपत्र माना जाता रहा.
अख़बार का मालिकाना हक़ एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी
'एजेएल' के पास था जो दो और अख़बार भी छापा करती थी.
हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.
आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को अव्यवसायिक
कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के
अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया.
वर्ष 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया
गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का क़र्ज़ भी चढ़ गया.
फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक
नई अव्यवसायिक कंपनी बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल
गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और
सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.
इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76
प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों
के पास थे.
कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे
दिया. इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया.
भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका
दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड'
ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का उपाय
निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.
याचिका में आरोप है कि 50 लाख रुपए में नई कंपनी बना कर
'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति को 'अपना बनाने की
चाल' चली गई.
दिल्ली की एक अदालत ने मामले में चार गवाहों के बयान दर्ज
किए और 26 जून 2014 को अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल
गांधी सहित नई कंपनी में निदेशक बनाए गए सैम पित्रोदा, सुमन
दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा को पेश होने का समन
भेज दिया.
अदालत ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' के सभी निदेशकों को 7
अगस्त 2014 को अपने सामने पेश होने का निर्देश दिया.
मगर कांग्रेस के नेताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर
की, जिस पर सुनवाई के बाद निचली अदालत की ओर से जारी
समन पर रोक लगा दी गई.
कांग्रेस के नेताओं ने अदालत में दलील दी कि 'यंग इंडियन प्राइवेट
लिमिटेड' नाम की संस्था को 'सामजिक और दान करम' के कार्यों
के लिए बनाया गया है.
नेताओं की यह भी दलील थी कि 'एजेएल' के शेयर स्थानांतरित
करने में किसी 'ग़ैर क़ानूनी' प्रक्रिया को 'अंजाम नहीं दिया गया'
बल्कि यह शेयर स्थानांतरित करने की 'सिर्फ एक वित्तीय
प्रक्रिया' थी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के नेताओं की ओर से दायर 'स्टे' की
याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि एक 'सबसे पुराने राष्ट्रीय
दल की साख दांव पर' लगी है क्योंकि पार्टी के नेताओं के पास
ही नई कंपनी के शेयर हैं.
हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के लिए यह ज़रूरी कि वो
मामले की बारीकी से सुनवाई करे ताकि पता चल पाये कि
'एजेएल' को ऋण किन सूरतों में दिया गया और फिर वो नई कंपनी
'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' को कैसे स्तनांतरित किया गया.
अब दिल्ली की एक अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19
दिसंबर के लिए तय की है.
जज ने कांग्रेस के नेताओं के वकीलों से कहा है कि वो सोनिया
गांधी, राहुल गांधी और उन सब की अदालत में पेशी सुनिश्चित करें
जिनको मामले में अदालत के सामने पेश होने के समन भेजे गए हैं.
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