ऐसे समय जब दुनिया के कई हिस्सों में नए आर्थिक क्षेत्र और गठबंधन आकार लेने लगे हैं, भारत ने भी अपनी तरफ से नई कोशिश शुरू कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार से शुरू हो रही दो दिवसीय रूस यात्रा में वैसे तो रक्षा सौदों पर खासा जोर होगा लेकिन इस दौरान मोदी यूरेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की थाह भी लेंगे। इस आर्थिक क्षेत्र में अर्मेनिया, बेलारूस, रूस और कजाखिस्तान आते हैं। इस आने वाले दिनों में एक मजबूत आर्थिक क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है।
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि पीएम मोदी भारत और रूस के बीच सालाना सहयोग सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन के साथ हिस्सा लेंगे। इस यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा और व्यापार समेत कई मुद्दों पर सहमति बनेगी और समझौते होंगे। लेकिन भारत यूरेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ एफटीए के मुद्दे पर रूस के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा जो द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों के लिए काफी अहम साबित हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस रवाना होने से पहले पीएम की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई। इसमें भारत और रूस के संयुक्त रूप से 200 कामोव-226टी हेलीकॉप्टरों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। इससे मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भारत लीज पर रूस से दूसरी परमाणु पनडुब्बी हासिल करने की कवायद में भी जुटा हुआ है। इसके अलावा, रूसी एस-400 ट्रम्फ एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली को खरीदने का भी रास्ता साफ हो गया है। इस प्रणाली की कीमत 40 हजार करोड़ रुपये है।
भारत और रूस के बीच का द्विपक्षीय कारोबार अभी 11 अरब डॉलर है जिसे अगले दस वर्षो में यानी वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने का लक्ष्य मोदी और पुतिन की वार्ता में तय किया जाएगा। साथ ही नया निवेश समझौता भी दोनों देशों के बीच होगा। दोनों देश 15-15 अरब डॉलर का निवेश करेंगे।
दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को लेकर आगे का रोडमैप भी इस यात्रा के दौरान तय होगा। दोनों देशों में यह पहले ही यह करार हो चुका है कि रूस भारत में 12 न्यूक्लियर प्लांट लगाएगा। अभी तक सिर्फ एक प्लांट शुरू हो पाया है। कुडनकुलम में दूसरा प्लांट लगाने को लेकर इस बार करार होने के आसार हैं। आगे भी दस प्लांट किस तरह से लगाए जाएंगे इसको लेकर दोनो देशों के बीच करार होगा। सनद रहे कि इस महीने की शुरुआत में रोसोटॉम (रूस का परमाणु ऊर्जा विभाग) के वरिष्ठ अधिकारी भारत आए थे तब उनके साथ भविष्य में होने वाले आण्विक सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई थी।