असहिष्णुता पर दो दिनों तक चली बहस और सरकार के जबाव के बाद सभी को उम्मीद थी कि लोकसभा की कार्रवाई अब शांतिपूर्ण तरीके से चलेगी। मगर कांग्रेस असहिष्णुता के मुद्दे को जिंदा रखने के लिए अब किसी भी हद तक जा रही है।
गुरुवार को लोक सभा की कार्रवाई शुरु होते ही कांग्रेस ने जिस तरह से विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह के दलित बच्चों पर दिए गए बयान को जो रंग देकर हंगामा किया उससे न सिर्फ सदन की कार्रवाई बाधित हुई बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी भी इससे खासे क्षुब्ध दिखे।
आज लोकसभा की कार्रवाई की शुरुआत के समय ही पीएम मोदी सदन में पहुंच गये थे। बताया जा रहा है कि मोदी पूरे प्रश्न काल के दौरान सदन में रुकने की मंशा से आये थे। इस दफा सदन की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने अजातशत्रु की तरह सबको साथ लेकर चलने के लिए बेहद नरम रुख अपनाया। विपक्ष के तल्ख आरोपों पर भी वह जवाब देने के बजाय उन्हें साथ लेकर चलने और सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित करते रहे। मगर कांग्रेस किसी भी कीमत पर सरकार को नीचा दिखाने के लिए और सदन न चलने देने की नीति पर कायम है।
गुरुवार को लोकसभा में दन की कार्रवाई शुरु होने के कुछ ही देर बाद कांग्रेस के सांसद वेल तक पहुंच गये। 'मोदी सरकार होश में आओ', 'वी के सिंह माफी मांगो' के जबरदस्त नारों की वजह से प्रश्नकाल का पूरा माहौल ही खराब हो गया। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने मामले को सुलझाने की कोशिश भी की लेकिन कांग्रेसी नेताओं के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बाद में टीएमसी को भी अपने साथ शामिल करने की कोशिश की। लेकिन टीएमसी के सांसदों ने अपने सीट पर खड़े हो कर ही विरोध किया। मोदी भी कुछ देर तक इस हंगामे को देखते रहे और फिर क्षोभ और निराशा के भावों के साथ कुछ ही देर में वह लोक सभा से उठ कर चले गये।
बाद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इसका जिक्र किया। सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वी के सिंह के बयान पर स्थगन प्रस्ताव भेजा था जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने पहले ही खारिज कर दिया। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ने खड़गे को आइना भी दिखाया। महाजन ने कहा कि, जब दो दिनों तक चर्चा हो चुकी है। कई लोगों ने इस विषय पर बयान दिया, सरकार की तरफ से जो जबाव दिया गया उसमें भी इसका जिक्र किया था। फिर इस पर अलग से चर्चा करने की क्या जरुरत है।