डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वाले
बीजेपी के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने साफ कर
दिया है कि पार्टी की कार्रवाई के बावजूद उनके तेवर
ढीले नहीं पड़ने वाले हैं। अटल बिहारी
वाजपेयी की 'कविता हार नहीं मानूंगा और रार नई
ठानूंगा' पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि मैं डीडीसीए के
मामले में कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए याचिका दायर करूंगा।
बीजेपी से निलंबन के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं आज शाम
तक इसका जवाब दे दूंगा और सुब्रमण्यन स्वामी इसकी
ड्राफ्टिंग में मेरी मदद करेंगे।
कीर्ति ने पीएम से अपने निलंबन की वजह
पूछी है। उन्होंने कहा, 'मैं पीएम नरेंद्र मोदी से
कहना चाहता हूं कि उन्हें सामने आकर सामने आकर बताना चाहिए कि मेरा कसूर क्या
है। मैं जानना चाहता हूं कि क्या मुझे इसलिए निलंबित किया गया है कि मैंने
डीडीसीए में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है?'
कीर्ति ने पार्टी के मार्गदर्शक मंडल से अपील
की कि इस मामले में दखल दें।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को कीर्ति
आजाद को पत्र लिखकर कहा, 'आप पिछले कुछ समय से लगातार विपक्ष के हाथ
की कठपुतली बनकर न सिर्फ अपने शीर्ष नेतृत्व
पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, बल्कि संसद में सरकार की भी
किरकिरी करा रहे हैं। पार्टी इस आचरण को अक्षम्य
मानती है। लिहाजा, आपको निलंबित किया जा रहा है।' सूत्रों का कहना है
कि उन्हें भविष्य के लिए आगाह भी किया गया है, वरना पार्टी
से निष्कासन की तलवार भी चल सकती है।
पार्टी के सख्त रुख के बाद भी कीर्ति के तेवर नरम
नहीं पड़े। गुरुवार को उन्होंने अहमदाबाद में मीडिया से बात करते
हुए कहा, 'डीडीसीए के भ्रष्टाचार को लेकर मैं नौ
साल से आवाज उठाता रहा हूं और कभी इसे पार्टी के मंच के
जरिए नहीं उठाया क्योंकि यह बाहर का मामला था। अगर
डीडीसीए पार्टी का मामला है तो
बीसीसीआई और आईपीएल
भी पार्टी का मामला बनता है।' कीर्ति आजाद ने कहा
कि मैं आज शाम तक पार्टी को नोटिस का जवाब दे दूंगा।
विरोधी पार्टियों के साथ हाथ मिलाने के आरोप पर
बीजेपी सांसद ने कहा, 'पार्टी मुझे बताए कि
दूसरी पार्टियों से कब मिला, यह कहना कि मेरा कांग्रेस अध्यक्ष से संबंध
है तो मैं पहले भी कह चुका हूं कि मेरे पिता भागवत झा आजाद कांग्रेस में
सबसे कम उम्र के सांसद बने, फिर कैबिनेट मंत्री और
मुख्यमंत्री रहे। उन्हें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
की वजह से कांग्रेस से निकाला गया था। मैंने 22 साल से
बीजेपी में हूं क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने और देश में
एक कानून की बात पार्टी कहती रही है,
जो मुझे अच्छा लगता है।'
बिहार के दरभंगा से सांसद कीर्ति ने कहा, 'मैं चाहता तो वर्षों पहले
मंत्री बन जाता। 1988 में मंत्री बनने का मौका था,
राजीव गांधी ने पिताजी के मुख्यमंत्री
बनने के बाद कहा था कि कीर्ति को उपचुनाव लड़वा कर केंद्र में
मंत्री बनाते हैं, लेकिन मेरे पिता ने कहा कि जब तक मैं किसी
पद पर हूं मेरा बेटा चुनाव नहीं लड़ेगा और कोई पद नहीं लेगा।
मैं उस बाप का बेटा हूं।' धमकाने वाले अंदाज में उन्होंने कहा, 'मेरे पास बहुत कुछ है,
लेकिन किसी को मैं शर्मिंदा नहीं करना चाहता। मेरी
आदत नहीं, मैं पीठ पर वार नहीं करता। लेकिन हाई
कोर्ट गया तो फिर ये लोग भागते फिरेंगे।'
कीर्ति आजाद ने माना कि पार्टी ने उन्हें पिछले रविवार को प्रेस
कॉन्फ्रेंस नहीं करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, 'मैंने पार्टी
अध्यक्ष अमित शाह को पूरे मामले की जानकारी दी
थी, उन्होंने कहा था कि मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस न करूं। मैंने कहा था कि
बिल्किल नहीं करूंगा, आप दोनों को आमने-सामने बैठा दीजिए और
सारी बातें साफ हो जाने दीजिए।' कीर्ति ने इस मामले में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी का मार्गदर्शक
मंडल से दखल देने की अपील करते हुए कहा कि
डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मामला उठाना
पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं है और मैं इसे लगातार
उठाता रहा हूं।
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