राज्यसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने किशोर न्याय
कानून (जूवेनाइव जस्टिस ऐक्ट) में संशोधन के प्रावधान वाले
विधेयक को जल्दी पारित किए जाने पर बल दिया। इसके कुछ देर
पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में नाबालिग दोषी की
रिहाई के खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया था।
नाबालिग दोषी को रिहा किए जाने के मुद्दे को लेकर नृशंस
निर्भया मामले की यादें एक बार फिर ताजा हो जाने की
पृष्ठभूमि में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सुबह उच्च सदन में
शून्यकाल में किशोर न्याय संबंधी विधेयक का मुद्दा उठाया। डेरेक
ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है ताकि
पूर्व निर्धारित कामकाज को स्थगित कर किशोर न्याय
(बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 पर चर्चा की
जाए।
डेरेक ने कहा कि शीतकालनीन सत्र में अब सिर्फ तीन दिन ही रह
गए हैं और आज की कार्यसूची में यह विधेयक सूचीबद्ध नहीं है।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी विधेयक के आज सूचीबद्ध
नहीं होने का जिक्र किया।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि देश भर में व्यापक
आंदोलन हो रहे हैं और सदन को किशोर न्याय संबंधी विधेयक पर
चर्चा करनी चाहिए। इस पर सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा
कि अगर सरकार इस विधेयक को इतना महत्वपूर्ण मानती है तो उसे
आज के लिए क्यों सूचीबद्ध नहीं किया गया। नायडू ने कहा कि
इस विधेयक को 8, 10 और 11 दिसंबर की कार्यसूची में शामिल
किया गया था, लेकिन सदन में कामकाज नहीं हो सका।
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