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अप्रैल-मई में होंगे बिहार पंचायत चुनाव

पंचायती राज मंत्री कपिल देव कामत ने कहा है कि अधिनियम में निर्धारित आरक्षण फार्मूला के तहत ही पंचायत चुनाव होगा। एकल पदों पर मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था जारी रहेगी।

वे गुरुवार को सूचना भवन स्थित संवाद कक्ष में पत्रकारों से रूबरू थे। उनके साथ मौजूद विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार राकेश ने बताया कि अप्रैल से मई के बीच पंचायत चुनाव के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। फरवरी या मार्च में चुनाव की अधिसूचना जारी होगी।

बकौल कामत, पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण तय करने की प्रक्रिया को शीघ्र मंजूरी दे दी जाएगी। आरक्षण तय करने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर महाधिवक्ता ने अपनी राय दे दी है।

पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के प्रतिनिधियों को पदासीन रहने के दौरान आकस्मिक निधन पर अब पांच लाख रुपये अनुदान दिए जाएंगे। तीन सौ से अधिक पंचायत सरकार भवन बनकर तैयार हैं। कोशिश है कि वे चालू वित्तीय वर्ष में विधिवत काम करना शुरू कर दें।

सुधीर कुमार राकेश ने बताया कि पंचायती राज विभाग ने 18 हजार पदों पर सहायक, लेखापाल (डाटा इंट्री ऑपरेटर) और जूनियर इंजीनियर (जेई) की भर्ती के लिए कवायद शुरू कर दी गई है।

10 पंचायतों पर एक जेई की भर्ती होगी। पंचायतों का कंप्यूटरीकरण, नए पंचायत भवनों का निर्माण और डॉटा एंट्री या अन्य कामकाज के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की योजना है। पंचायतों में राजस्व बढ़ोतरी के लिए नीति निर्धारण की तैयार की जा रही है। वार्ड सभा के संयोजन एवं संचालन की प्रक्रिया नियमावली बनाई जा रही है।

पंचायत चुनाव में आरक्षण का चक्रानुक्रम तय

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में 50 फीसद सीटें अनुसूचित जाति (एसी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) के लिए आरक्षित होंगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को पंचायत चुनाव अधिनियम के तहत सीटों का चक्रानुक्रम तय करने का दिशा-निर्देश जारी कर दिया।

ऐसे में पंचायतों में आधे से अधिक सीटों पर वर्गीय उम्मीदवारी बदल जाएगी। आरक्षित सीटें अनारक्षित होंगी और अनारक्षित सीटें आरक्षित में बदल जाएंगी।

महिलाओं के लिए 50 फीसद सीटें आरक्षित हैं। इसका निर्धारण आरक्षण के भीतर आरक्षण के फार्मूले के तहत होगा। यानी आरक्षित वर्ग की सीट अनारक्षित होती है और आरक्षित वर्ग की महिला के लिए खास सीट रिजर्व थी तो अनारक्षित होने के बाद वह अनारक्षित कोटे की महिला के लिए आरक्षित हो सकती है।

पंचायत चुनाव में आरक्षण का फार्मूला आबादी के आधार पर चलता है। प्रखंड और पंचायत की आबादी के हिसाब से सीटों के आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसे में पंचायत सरकार इलाकों से नए चेहरे निकलकर सामने आएंगे।

दो टर्म तक आरक्षण रोस्टर समान

गौरतलब है कि अधिनियम में दो टर्म तक एक आरक्षण रोस्टर पर चुनाव का निर्णय है। 2006 और 2011 में एक ही आरक्षण रोस्टर पर चुनाव हो चुका है। ऐसे में अब आरक्षण का रोस्टर बदलेगा।

आरक्षित सीटें अनारक्षित हो जाएंगी। जाहिर है कि जिन सीटों पर आरक्षित वर्ग के लोग चुनाव लड़ते थे, वहां से सामान्य वर्ग के लोग उम्मीदवार हो जाएंगे। महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की स्थिति भी बदल जाएगी।

आयोग के सचिव दुर्गेश नंदन ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों/ डीएम को भेजे दिशा-निर्देश में इसे स्पष्ट कर दिया है। कहा गया है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए आरक्षण का फार्मूला तय करें।