गुड़गांव शहर के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल का आज दोपहर निधन हो गया। दोपहर 2.24 बजे उन्होंने अंतिन सांस ली। उन्हें कई दिनों से वेंटिलेटर के सहारे रखा गया था।
आज सुबह ही अशोक सिंहल का हाल लेने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी पहुंचे थे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुड़गांव उन्हें देखने आने वाले थे। अब उन्होंने विहिप नेता के निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि वह आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणाश्रोत बने रहेंगे।
यहां पर बता दें कि मेदांता अस्पताल में भर्ती विश्व हिंदूू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल की तबीयत में कल मामूली सुधार हुआ था। चिकित्सकों के मुताबिक, उन्होंने दो बार आंखें खोलीं। उनका रक्तचाप भी अब सामान्य हो गया था।
तीन दिन पहले ही अस्पताल से लौटे 89 वर्षीय सिंहल की तबीयत अचानक बिगड़ने से शनिवार शाम उन्हें पुन: अस्पताल में भर्ती कराया गया।
सिंहल को देखने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, श्रीराम जन्मभूमि न्यास बोर्ड के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र, संयुक्त महामंत्री विनायक राव देशपांडेय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा के सह प्रांत संघचालक पवन जिंदल एवं कथावाचक साध्वी ऋतंभरा मेदांता पहुंचे थे।
इससे पहले शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ प्रदेश सरकार के मंत्री राव नरबीर सिंह भी सिंहल को देखने अस्पताल पहुंचे थे। सांस लेने में तकलीफ के चलते सिंहल को 20 अक्टूबर की रात मेदांता में दाखिल कराया गया था। तब उन्हें इलाहाबाद से एयर एंबुलेंस से दिल्ली और वहां से अस्पताल लाया गया था।
सांस लेने की तकलीफ दो दिन में सही हो गई, लेकिन पेट में संक्रमण के चलते सिंहल को 12 नवंबर तक अस्पताल में ही रखा गया था। अस्पताल से छुट्टी मिलने पर विहिप संरक्षक दिल्ली के द्वारका में अपने भतीजे के पास रह रहे थे। 14 नवंबर की देर रात तबीयत फिर से बिगड़ गई।
28 दिन पूर्व सांस लेने में हुई थी दिक्कत
- 20 अक्टूबर से 12 नवंबर तक को सांस की बीमारी के चलते विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल को गुड़गांव स्थित मेदांता मेडिसिटी में भर्ती करवाया गया था, सेहत में सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।
- 14 नवंबर एक बार फिर सिंहल की तबीयत अचानक बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें दोबारा मेदांता मेडिसिटी में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान सिंहल को जीवन रक्षक प्रणाली पर ही रखा गया।
- 17 नवंबर को दोपहर 2.24 बजे 89 वर्षीय सिंहल ने ली अंतिम सांस।
आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ खास पहलुओं के बारे में:
अशोक सिंहल का जन्म 1926 में संयुक्त प्रांत के आगरा में हुआ था। उनके पिता सरकारी नौकरी में थे। सिंहल ने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीएचयू से डिग्री हासिल की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वो राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े और बाद में पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। सिंहल ने उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में काम किया और बाद में दिल्ली और हरियाणा के लिए प्रांत प्रचारक बने ।
1980 में वो विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त सचिव बनाए गए। 1984 में उनका ओहदा बढ़ा और विहिप के महासचिव बने। उनके सफर में एक और मुकाम आया जब वो विहिप के अध्यक्ष बने और 2011 तक इस पद पर कार्य करते रहे। गिरती सेहत की वजह से उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिंहल हिंदुस्तानी संगीत में भी पारंगत थे, उन्होंने पंडित ओंकार नाथ ठाकुर से संगीत की शिक्षा हासिल की थी।
सिंहल रामजन्मभूमि आंदोलन से सक्रिय तौर से जुड़े हुए थे। 1981 में मीनाक्षीपुरम में धर्मपरिवर्तन के बाद वो विहिप के संयुक्त सचिव बनाए गए थे, इलाके में दलितों के साथ भेदभाव के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने दलितों के लिए करीब 200 मंदिर भी बनवाए।
सिंहल ने दिल्ली में 1984 में विज्ञान भवन में पहली धर्म संसद को आयोजित किया था, जिसमें बड़ी संख्या में देश के साधू और संत शामिल हुए थे। धर्मसंसद में रामजन्मभूमि के आंदोलन की विधिवत शुरुआत हुई थी।
राम मंदिर आंदोलन से मिली थी विशेष पहचान
अशोक सिंहल ने आयोध्या में राम आंदलोन के अगुवाई की। इनके नेतृत्व में हजारों विहिप कार्यकर्ता व अलग अलग संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। यही नहीं सिंहल को इस आंदोलन के चलते जेल जाना पड़ा। इस आंदोलन के बाद सिंहल सशक्त हिंदूवादी नेता के रुप में उभरे।
कई बार अपने भाषणों में सिंहल ने कहा कि इस देश में राम मंदिर का निर्माण कराना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। राम जन्मभूमि पर राम का मंदिर बने, इसके लिए सिंहल ने पूरी दुनिया के हिंदुओं से आर्थिक मदद ली।