जानी-मानी लेखिका अरुंधती रॉय का मानना है कि
मोदी 'हिंदू राष्ट्रवाद' के नाम पर 'ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही'
है। रॉय ने कहा कि 'असहिष्णुता' जैसा शब्द उस 'डर' को बताने के लिए
नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी
रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध
प्रदर्शन किया और उन्हें 'राष्ट्र विरोधी' बताया।
अरुंधती ने यह आरोप भी लगाया कि
बीजेपी देश के समाज सुधारकों का महिमामंडन 'महान हिंदुओं' के
तौर पर करने की कोशिश कर रही है और डॉ.
भीमराव अंबेडकर को भी हिंदू करार दे रही है,
जबकि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया था। रॉय ने आरोप लगाया, 'इतिहास को फिर से लिखा
जा रहा है और सरकार ने राष्ट्रीय संस्थानों पर कब्जा जमा लिया है।'
रॉय के इन आरोपों के बाद उनके खिलाफ नारेबाजी करते हुए
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें
'राष्ट्रविरोधी, पाकिस्तान समर्थक और भारतीय सेना
विरोधी' करार दिया। बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
एबीवीपी ने आयोजकों को एक ज्ञापन सौंपकर कहा
कि रॉय ने अपने 'राष्ट्र विरोधी' रवैये से सभी भारतीयों
की संवेदनाएं आहत की हैं। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम
में रॉय की मौजूदगी से नाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
(एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने हंगामेदार प्रदर्शन
किया। इस कार्यक्रम में रॉय को समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम पर दिया
जाने वाले महात्मा फुले समानता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वहीं इस मौके पर एनसीपी नेता और महाराष्ट्र
सरकार के पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि
बीजेपी को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से सबक
लेना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ऐसे नेताओं
को काबू में लाना चाहिए जो 'असहिष्णु बातें' करते हैं।
Loading...