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क्या लालू के लाल करेंगे कमाल?

बिहार में उप मुख्यमंत्री के रूप में 9वीं पास एक IPL प्लेयर और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में एक ऑटोमोबाइल फैन और एक मोटरसाइकल शोरूम का संचालक। यह वो है जिस तरह कुछ लोग इन दोनों को देखते हैं। गांधी मैदान में जब ये दोनों मंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब भीड़ में से कई लोग इन्हें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भविष्य के रूप में देख रहे थे।

तेजस्वी यादव (26) और उनके बड़े भाई तेज प्रताप (27) जब नीतीश का पैर छूने के लिए झुके, इसे दो राजनीति यात्राओं की शुरुआत के तौर पर देखा गया जिसे नीतीश के तीसरे कार्यकाल में लगातार जांचा और परखा जाने वाला है।

आलोचक कहते हैं कि लालू ने अपने बेटों को नीतीश पर थोपा है। उपमुख्यमंत्री बनाकर तेजस्वी को पीडब्ल्यूडी देना और तेज को स्वास्थ्य ढेरों कयास पैदा करता है। आखिर ये मंत्रालय ‘विकास के लिए मिले जनादेश’ की अहम धुरी हैं।

हालांकि, आरजेडी नेता मानते हैं कि यह इतिहास को ध्वस्त कर देगा। तेजस्वी को पार्टी नेता एक ‘स्पष्ट नेता’ के तौर पर देखते हैं, जिसने क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल (आरके पुरम) में 9वीं क्लास की पढ़ाई छोड़ दी। वहीं, तेज प्रताप को ‘मृदुभाषी’ के तौर पर देखा जाता है। 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले तेज प्रताप मोटरसाइकिल शोरूम के मालिक हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, करीबी सूत्र बताते हैं कि लालू के लिए छोटे बेटे को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में चुनना आसान नहीं था। तेजस्वी के पक्ष में जो बात गई वह 2010 में पार्टी की हार के बाद जमीनी स्तर पर किया गया काम था। 2010 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को 243 में से 23 सीटें मिली थी। तेजस्वी के करीबी दोस्त और 2015 के चुनाव में उनके रणनीतिकार के तौर पर काम करने वाले संजय यादव कहते हैं कि हमने उस वक्त गलतियों पर मंथन किया और चीजें सही करने की कोशिश की। तेजस्वी ने मुझे पार्टी के लिए काम करने को कहा। मैं उनके साथ 2012 से ही जुड़ा हुआ हूं।

2013 से, तेजस्वी ने जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया था। वह पार्टी की यूथ विंग को संबोधित करते थे, युवाओं को प्रतिनिधित्व देने की बात करते थे। इस बीच, तेज प्रताप का राजनीतिक रुझान कुछ ज्यादा नहीं दिखाई दे रहा था। वह अधिकतर मौकों पर अपने छोटे भाई को आशीर्वाद देते ही दिखाई देते थे। जल्द ही, तेजस्वी ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी ‘चाचा’ नीतीश पर बात करनी शुरू कर दी। समस्तीपुर की एक आम सभा में उन्होंने कहा भी कि बाप और बेटा मिलकर बिहार चमका देंगे। वहीं, तेज प्रताप बहुत सक्रिय होकर उभर नहीं पा रहे थे। उनका जुड़ाव कारों की तरफ ज्यादा दिखाई दे रहा था।

चारा घोटाला में लालू को दोषी सिद्ध ठहराए जाने के बाद तेजस्वी ने पार्टी की कमान मानो संभाल ही ली। उन्होंने अपने पिता का पक्ष रखने की कोशिश नहीं छोड़ी। वहीं, तेज प्रताप की सक्रियता उस वक्त उभर कर आगे आई जब उनके पिता ने इस साल नीतीश कुमार से गठजोड़ किया। तेज प्रताप ने अपनी इमेज मेकओवर के लिए प्रोफेश्नल भी हायर किए, ऑनलाइन और बाकी तरीकों से भी। नीतीश के फैसले से काफी पहले ही उन्होंने महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया था।

जबकि टीम राणनीति और नारों पर काम कर रही थी तेज प्रताप ने छोटे भाई तेजस्वी की तरह माइक और मंच से दूर रहने का ही फैसला किया। दोनों की कहानी भले अलग-अलग हो लेकिन दोनों के ऐफिडेविट बताते हैं कि संपत्ति के मामले में उनमें कुछ भी अलग नहीं है। तेज प्रताप की कुल संपत्ति 1.12 करोड़ रुपए की है जबकि तेजस्वी के पास 1.4 करोड़ की संपत्ति है। दोनों ने अच्छे अंतर से जीत भी हासिल की। तेजस्वी ने राघोपुर में बीजेपी के सतीश कुमार को 22,733 वोट से हराया। इस सीट पर पूर्व में राबड़ी और लालू दोनों चुनाव जीते हैं। तेज प्रताप ने महुआ सीट पर ‘हम’ के रवींद्र राय को 28,155 वोट से हराया।

एक आरजेडी नेता ने कहा कि दोनों को बड़ा अवसर मिला है। कैबिनेट में दोनों भाइयों की मौजूदगी न सिर्फ नीतीश पर बल्कि राहुल पर भी दबाव डालेगी। दोनों अपने पद का किस तरह इस्तेमाल करते हैं, वह सिर्फ सरकार का ही भविष्य नहीं इन दोनों भाइयों का भविष्य भी तय करेगा।