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पीटर और मारिया का नजदीकी एक्स कॉप - ये रिश्ता क्या कहलाता है।

अपनी सौतेली बेटी शीना बोरा के मर्डर
केस में गुरुवार रात मीडिया टायकून पीटर मुखर्जी
की सनसनीखेज गिरफ्तारी के बाद एक और नाम
सामने आया है, जो स्कैनर के तले आ गया है। यह शख्स मुंबई पुलिस का पूर्व
अधिकारी है और पीटर मुखर्जी के साथ-साथ पूर्व
कमिश्नर राकेश मारिया का भी नजदीकी है।
असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सोहेल बुद्धा (49) ने 2003 में मुंबई पुलिस से ऐच्छिक
रिटायरमेंट ले लिया था और स्टार टीवी में इंटरनल
सिक्यॉरिटी के वाइस प्रेजिडेंट का पद जॉइन किया था। उस समय
पीटर स्टार इंडिया के सीईओ थे। बुद्धा ने ही
इंद्राणी के ड्राइवर रहे श्यामवर राय को मुखर्जी के पास
नौकरी दिलाई थी। राय को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और
तब तक वह बुद्धा के लिए ही काम कर रहा था। अब ऐसा लग रहा है कि
राय के पास अवैध बंदूक होने की बात को केस से ही हटा दिया
गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि राय के खिलाफ अवैध बंदूक का मामला शुरू में
खार पुलिस थाने में दर्ज हुआ था, जहां नियुक्त सारे पुलिसकर्मी बुद्धा के
साथ काम कर चुके हैं। इनमें वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर दत्तात्रेय बारगुडे,
एसीपी संजय कदम, इंस्पेक्टर दिनेश कदम, केदार पवार और
नितिन अलकनूर शामिल हैं। इन सभी पुलिसकर्मियों का पुलिस फोर्स में
काफी नाम है और ये राकेश मारिया के करीबी रहे हैं।
इस बात को कम लोग ही जानते हैं कि खुद बुद्धा के राकेश मारिया के साथ
बेहद करीबी संबंध रहे हैं। बुद्धा राकेश मारिया की
हैंड-पिक्ड टीम का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने 1993 में मुंबई में हुए बम
ब्लास्ट केस की जांच की थी। संजय, दिनेश,
अलकनूर, केदार और दत्तात्रेय, ये सभी 1993 की उस
टीम का हिस्सा थे और जब श्यामवर राय को गिरफ्तार किया गया, तो ये
सभी खार पुलिस थाने में तैनात थे।
93 धमाकों की जांच में सफलता के बाद ये सभी पुलिस वाले लंबे
समय तक मारिया के साथ मुंबई क्राइम ब्रांच में काम करते रहे और इस
टीम ने इस दौरान बहुत ही अच्छा काम किया। क्राइम ब्रांच से
मारिया के ट्रांसफर के बाद यह टीम तितर-बितर हो गई, लेकिन
सभी अपने बॉस के लिए ईमानदार रहे। इसी वजह से
शीना केस में बुद्धा की अनोखी स्थिति पुलिस फोर्स के
लिए चिंता का सबब बनी हुई है, क्योंकि वह पीटर और मारिया,
दोनों के करीब रहे।
सवाल यह उठ रहा है कि अगर पीटर को शीना की
हत्या और इसमें श्यामवर की भूमिका की जानकारी
थी तो उन्होंने उसे इतने दिनों तक अपनी नजर से दूर कैसे होने
दिया। वह बुद्धा पर भरोसा करते हैं और बुद्धा ने ही श्यामवर को
मुखर्जी परिवार में ड्राइवर बनाया था। श्यामवर ने शीना
की हत्या के बाद 2012 में नौकरी छोड़ दी
थी। साथ ही, क्या बुद्धा ने शीना की
रहस्यमयी अनुपस्थिति और मौत के बारे में मुंबई पुलिस या अपने पूर्व
बॉस राकेश मारिया को बताया था?
बताया जा रहा है कि मारिया द्वारा खुद चुनी गई 93 की इस
टीम को रणनीति के तहत खार पुलिस थाने लाया गया।
शीना मर्डर केस के सामने आने के एक साल पहले अधिकांश पुलिसवाले
खार पुलिस थाने आ चुके थे। दत्तात्रेय को 14 अगस्त, 2014 को खार पुलिस थाने में
नियुक्त किया गया था और दो दिन बाद ही अलकनूर की पोस्टिंग
हुई थी। दिनेश और संजय का जून, 2015 में ट्रांसफर हुआ था।
आखिरी सदस्य केदार जून, 2015 में बांद्रा पुलिस थाने में पोस्टेड थे। राय
की गिरफ्तारी के बाद वह बांद्रा में रहते हुए असामान्य रूप से
जांच में योगदान दे रहे थे।
ये सभी ट्रांसफर तब हुए, जब राकेश मारिया कमिश्नर थे। बुद्धा इस सवाल
से बचते हैं कि कैसे उन्होंने मारिया को शीना के केस के बारे में बताया था।
पूछे जाने पर वह इतना ही कहते हैं, 'मैंने पुलिस सेवा में 14 साल गुजारे
हैं और इस दौरान 300 अवॉर्ड कमाए। मैंने हमेशा फोर्स की मदद
की है।' वह कहते हैं कि स्टार टीवी छोड़ने के बाद
वह मुखर्जी परिवार के संपर्क में नहीं थे और उन्होंने राय को
सिर्फ इसलिए हायर करवाया था, क्योंकि मुखर्जी ने उन्हें प्राइवेट सेक्टर
में ब्रेक दिया था।
बुद्धा कहते हैं कि राय प्रफेशनल नहीं था, काम में नियमित
नहीं था और कई महीनों तक गायब रहता था। ऐसे में सवाल
उठता है कि बुद्धा ने उसे रखा ही क्यों था। इन सवालों के जवाब अब तक
नहीं मिले हैं, जबकि यह सबको पता है कि इस मामले में निजी
रुचि दिखाने के बाद मारिया को इसकी क्या कीमत अदा
करनी पड़ी। 7 सितंबर की सुबह जब मारिया ने
पीटर से छह घंटे तक पूछताछ की, उसके बाद कमिश्नर पद से
उनका ट्रांसफर हो गया और उन्हें होम गार्ड्स का डायरेक्टर जनरल बना दिया गया।
इस अपमानजनक ट्रांसफर के बाद खार पुलिस थाने की टीम ने
उनके नए ऑफिस में उनसे मिलने की इच्छा जताई थी, लेकिन
मारिया ने उन्हें मना कर दिया था, जबकि बुद्धा मारिया के होमगार्ड्स हेडक्वार्टर लगातार
आते-जाते रहे।