संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संसद में बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान पर चर्चा के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ कई बातें कही। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान का महत्व प्रभावी ढंग से सदन के अंदर प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही पीएम ने कहा कि सबने चर्चा का एकमत से समर्थन भी किया।
अंबेडकर के महत्वपूर्ण योगदान के बारे में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के योगदान को कभी नहीं भुला सकते है। अंबेडकर की भूमिका को कभी नकार नहीं सकते। पीएम ने कहा कि संविधान में मर्यादा और एकता का भाव है। ये कोई नहीं कह सकता कि कोई सरकार से कुछ नहीं किया। सब प्रतिनिधियों के योगदान से देश आगे बढ़ा है।
पीएम ने कहा कहा कि हम संविधान बदलने की सोच भी नहीं सकते हैं। संविधान बदलने का मतलब होगा खुद को आत्महत्या करना।
संविधान पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि भारत जैसे देश जहां संविधान पर चित्र को लेकर भी कई राय हैं वहां संविधान बनाना एक बहुत बड़ा काम था। ऐसे में विरोध और शासन के लिए बाबा साहेब ने एक मार्ग दर्शक का काम किया। मोदी ने कहा कि अगर बाबा साहेब अंबेडकर ना होते तो शायद हमारा ये संविधान सामाजित दस्तावेज नहीं बन पाता।
पीएम ने 26 नवंबर को इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि संविधान पर मंथन चलता रहे। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में निहित है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि देश में संविधान के बारे में ऑनलाइन प्रतिक्रिया हो।
लोकसभा में बोलते हुए मोदी ने कहा कि इस देश को किसानों, मजदूरों और गरीबों ने बनाया हैं। उन्होंनें कहा कि देश में शिकायत का हक सबको है। अपने संविधान पर जितना गौरव करें कम है। राजा-महाराजाओं ने नहीं जन-जन ने देश को बनाया है।
पीएम मोदी की बातों के मुख्य बिंदु--
अटलजी ने लोकतंत्र की ऊंचाईयों को स्वीकार किया था
अटल जी की सरकार एक वोट से हारी थी
संविधान ही सर्वोच्च है कानूनों का कानून है
जब भ्रष्टाचार चरम पर होता है तो कोई जेपी निकलता है
समाज की एकता और अखंडता के प्रयास हुए
हर कालखंड में कोई महापुरुष निकलता है
राजनेता ही बंधन स्वीकार करते हैं
राजनेताओं ने खुद को अपने ऊपर बंधन लगाए
अल्पमत पर कुछ भी नहीं थोप सकता है बहुमत
भारतीय समाज हजारों साल पुराना
संविधान बदलने की सोचना आत्महत्या करना है
संविधान बदलने की कोई नहीं सोच सकता है
न्याय सबको मिले, सहज मिले
देश का कोई भूभाग पिछड़ा नहीं रहना चाहिए
हमने न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपये की
विद्वानों ने संविधान को सामाजिक दस्तावेज कहा है
बाबा साहेब ने पूरे जीवन यातनाएं झेली
बाबा साहेब के विचारों में ताकत और तपस्या थी
बाबा साहेब की पीड़ा संविधान में है
बाबा साहेब ने सारे जहर को पी लिया
सब सरकारों सबकी तपस्या से देश आगे बढ़ा
बाबा साहेब के संविधान में कहीं भी बदले की भावना नहीं
संविधान आधारभूत दस्तावेज है
सब प्रधानमंत्रियों के सहयोग से देश आगे बढ़ा है
संविधान में चित्रों पर भी हमारी एक राय नहीं हो सकती हैं
हमारा संविधान सबको जोड़ने का प्रयास
हमारा रास्ता सहमति का होना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी बिल को लेकर बेहद गंभीर दिख रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने आज शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी चाय का न्योता दिया है।
संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मोदी ने शुक्रवार को सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को खुद फोन किया। ऐसा माना जा रहा है कि आज शाम को होनेवाली इस विशेष मुलाकात में जीएसटी बिल और उसको लेकर कांग्रेस पार्टी की आपत्ति पर चर्चा होगी।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली शानदार जीत के बाद ये पहला मौका होगा जब सोनिया गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी की आमने-सामने मुलाकात होगी।
पूरा मॉनसून वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और सुषमा स्वराज के इस्ताफे की मांग को लेकर हंगामें की भेंट चढ़ गया था। इसके चलते लोकसभा में कुल 8 बिल और राज्यसभा में 11 बिल अटके पड़े हैं।
जबकि, जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और जमीन अधिग्रहण से जुड़े बिल तो संसद की समितियों के पास ही फंसे हुए हैं। ऐसे में इस बार सरकार चाहती है कि शीतकालीन सत्र के दौरान ज्यादा से ज्यादा काम हो और बेवजह हंगामे की चलते समय व्यर्थ ना हो।