नागपुर टेस्ट मैच में भारतीय टीम मज़बूत स्थिति में है लेकिन
नागपुर की पिच को लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा
हो रही है.
लोगों ने फ़ेसबुक और ट्विटर पर इस मुद्दे पर काफ़ी कुछ लिखा है. वे
नागपुर पिच की गुणवत्ता पर चर्चा कर रहे हैं और बीसीसीआई की
मंशा पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.
वरिष्ठ खेल पत्रकार मलय नीरव ने भी नागपुर टेस्ट के पिच को लेकर
बीसीसीआई पर कई सवाल उठाए हैं.
उनका मानना है कि नागपुर की पिच टेस्ट क्रिकट के साथ मज़ाक
ही नहीं, धोखा भी है.
वे कहते हैं, "आप टेस्ट मैच को क्रिकेट का शुद्धतम रूप मानते हैं और
उम्मीद करते हैं कि पांच दिन तक मैच चले. फिर इस तरह की पिच
बनाने का क्या तुक है? टेंट्रब्रिज या नागपुर टेस्ट के पिच कई सवाल
खड़े करते हैं. इस पर बीसीसीआई ही नहीं, इंटरनेशनल क्रिकेट
काउंसिल (आईसीसी) को भी गंभीरता से सोचना होगा."
उनके मुताबिक़, ''बीसीसीआई की सोच दूसरे क्रिकेट बोर्डों से
अलग नहीं है. सभी बोर्ड चाहते हैं कि वे अपनी स्थितियों के
अनुकूल पिच बनवाएं और अपने खिलाड़ियों को उसी हिसाब से
मैदान पर उतारें. बीसीसीआई ने भी यही किया.''
वे कहते हैं, "लेकिन दिक़्क़त यह है कि यह पिच पूरी तरह तैयार नहीं
थी. इस तरह की पिच पर स्पिनर तो अपना काम कर लेते हैं, लेकिन
बल्लेबाज़ वैसा नहीं चल पाते. ऐसे में इस तरह की पिच बीसीसीआई
को महंगा पड़ेगी. बीसीसीआई को यह सोचना होगा कि इस तरह
के पिच बनाकर क्या यह अपने मुताबिक खेल को मोड़ लेगी?"
मलय नीरव पूछते हैं कि क्या बीसीसीआई दुनिया को यह संकेत दे
सकती है कि वह अपने मुताबिक़ पिच बनवा ले तो उसके बल्लेबाज़
और गेंदबाज़, दोनों ही उसका पूरा फ़ायदा उठा लेंगे.
उनके मुताबिक़, "बीसीसीआई पहले से ही पिच को लेकर काफ़ी
बदनाम रही है. अब समय आ गया है कि वह नींद से जागे और पिच के
मामले में अपनी छवि दुरुस्त करे."
वे यह भी कहते हैं कि दक्षिण अफ़्रीका के कप्तान या कोच या
किसी दूसरे आदमी ने अब तक इस पिच की आलोचना नहीं की है.
लिहाज़ा, आप उनके लिए "नाच न आवे आंगन टेढ़ा" भी नहीं कह
सकते.
यह ज़रूर है कि भारत यदि यह मैच जीतता है तो कप्तान विराट
कोहली के लिए उत्साह बढ़ाने वाला साबित होगा.
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