नेपाल में नए संविधान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार लोगों मारे गए। इन चारों
की मौत प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलियों से हुई है। इसमें
दर्जनों प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी जख्मी हुए
हैं। सभी प्रदर्शनकारी मधेसी समुदाय से हैं। इनका
कहना है कि नए संविधान में उनके हकों को मारा गया है। इन्होंने दो महीने
से भारत से लगी नेपाल की सीमा को बंद करके रखा
है। नेपाल का आरोप है कि भारत मधेसियों का रणनीतिक तरीके
से समर्थन कर रहा है। मधेसियों का जातीय संबंध उत्तर भारत के इलाकों
से है।
नेपाल देश जरूरी वस्तुओं की घोर कमी का सामना कर
रहा है। पूर्वी-पश्चिम राजमार्ग पर रविवार देर रात नाकेबंदी कर
रहे चार प्रदर्शनकारियों की पुलिस गोलीबारी में मौत
होने के बाद राजधानी से करीब 280 किलोमीटर
दक्षिणपूर्व में सपतारी जिले में सोमवार को बेमियादी कर्फ्यू लगा
दिया गया।
पुलिस ने बताया कि पुलिस ने जब नाकेबंदी कर रहे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक
मधेसी फ्रंट के कार्यकर्ताओं को हटाने की कोशिश
की तब करीब 2,500 लोगों की भीड़ ने
उन पर पेट्रोल बम और ईंटों से हमला कर दिया। इसके चलते उन्हें
गोलीबारी करनी पड़ी। आंदोलनकारियों और
सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प के दौरान बीरेंद्र राम और
नागेश्वर यादव नाम के दो मधेसी मारे गए।
सुरक्षकर्मी यात्रियों से भरी गाड़ियों के लिए राह बना रहे थे।
ताजा झड़पों में कम से कम 17 प्रदर्शनकारी और 25 पुलिस
कर्मी घायल हो गए। पांच प्रदर्शनकारियों और दो पुलिस कर्मियों
की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सपतारी जिला पुलिस कार्यालय प्रमुख भीम ढकाल ने बताया कि
प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया, इसके चलते झड़पें हुईं।
काठमांडो पोस्ट ने ढकाल के हवाले से बताया, 'प्रदर्शनकरियों ने देशी
हथियारों से सुरक्षा कर्मियों पर हमला शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें खदेड़ने के लिए
हमें बल प्रयोग करना पड़ा।' इस हिंसक आंदोलन में अब तक 40 से अधिक लोगों
की जान जा चुकी है और हिमालयी देश के लिए सामान
और ईंधन की आपूर्ति बाधित होने से भारत नेपाल संबंध भी
प्रभावित हुए। नेपाल ने भारत पर प्रदर्शनकारियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया जिसे
नई दिल्ली ने खारिज कर दिया है।
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