मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेताओं की बयानबाजी के बीच कल अपनी चुप्पी तोड़ी।राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा विधि-व्यवस्था के बारे में दिये गये सुझाव के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि 'अच्छी बात है'।
कल नव वर्ष की बधाई के बाद संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि राजद सुप्रीमो लालू यादव द्वारा दिए गए सुझाव के बारे में क्या कहेंगे? इस पर मुख्यमंत्री ने एक शब्द में कहा कि 'अच्छी बात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के लोगों को मुझ पर भरोसा है। मैं इस भरोसे को कायम रखने के लिए जो भी जरूरी काम है उसे करता रहूंगा। यह मेरा संकल्प है।
लालू यादव का बयान, जिसपर मचा घमासान
मालूम हो कि राजद सुप्रीमो ने विधि-व्यवस्था की समीक्षा बैठक के अगले दिन नीतीश कुमार को यह परामर्श दिया था कि वह पुलिस को फ्री हैंड छोड़ें। उन्होंने नीतीश कुमार के शासनकाल में तत्कालीन डीजीपी द्वारा पुलिस का मनोबल तोड़े जाने की बात भी कही।
इस पर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने आपत्ति करते हुए वक्तव्य दिया था कि नीतीश कुमार को विधि-व्यवस्था नियंत्रण के मामले में किसी के परामर्श की जरूरत नहीं। जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी इस पर अपनी टिप्पणी की थी।
इस पूरे प्रकरण में गुरुवार को राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश बाबू के इस बयान ने आग में घी का काम किया कि विधि-व्यवस्था की जिम्मेवारी नीतीश कुमार की है। जदयू के लोगों को सिर्फ जयकारा सुनने की आदत है। गाड़ी की स्टीयरिंग पर तो नीतीश कुमार बैठे है।
लालू ने नीतीश पर जताया विश्वास
वहीं कल लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के बेहतर नेतृत्व की बात कहते हुए कहा कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार मजबूती से काम कर रही है। उन्होंने कल राजद नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा था कि ऊल-जलूल बयानबाजी से बाज आएं।
नीतीश ने दी नववर्ष की शुभकामना
नव वर्ष की शुभकामना देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नव वर्ष लोगों के जीवन में खुशियां लाए। बिहार में प्रगति हो और बिहार देश की प्रगति में योगदान करे। समाज में प्रेम और सद्भाव का माहौल कायम रहे, मैं यही कामना करता हूं।
स्ंपत्ति ब्यौरे पर बोले नीतीश
मंत्रियों द्वारा संपत्ति का ब्योरा जारी किए जाने से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परंपरा 2011 से चल रही है। प्रति वर्ष एक जनवरी को मंत्रियों की संपत्ति के ब्योरे को सार्वजनिक किया जाता है। बिहार के बाद दूसरे राज्यों में भी यह चलन शुरू हुआ है। बिहार के सरकारी अधिकारी व कर्मी भी अपनी संपत्ति की वार्षिक घोषणा करते हैं। उन्हें फरवरी में इसका एलान करना होता है।