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मथुरा हिंसा में SP सिटी-SHO समेत 24 की गई जान, 23 पुलिसकर्मी जख्मी

मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमणकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प कई सवालों को जन्म देती है। क्या वहां तथाकथित सत्याग्रही रहा करते थे। या आतंक का वो एक अड्डा था। जहां कल खूनी जंग को अंजाम दिया गया। जवाहरबाग में जिस तरह से झड़प हुई वो साबित करती है कि अतिक्रमणकारी किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया को तेज किया जाएगा, ताकि तय समय के अंदर पीड़ितों को न्याय मिल सके।

मथुरा हिंसा पर डीजीपी ने क्या कहा ?

डीजीपी जावीद अहमद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि जवाहरबाग को पूरी तरह से अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा लिया गया है। मथुरा हिंसा में एसपी सिटी-और एसएचओ समेत 24 लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा। 23 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डीजीपी ने बताया कि 11 उपद्नवियों की मौत उनकी खुद की लगाई आग से हुई थी। इसके अलावा हथियारों के बड़े जखीरे को बरामद किया गया है। हिंसा के लिए जिम्मेदार 124 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

मौके पर पहुंचे डीजीपी

उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुख जावीद अहमद, एडीजी लॉ एंड आर्डर दलजीत चौधरी के साथ प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा ने मथुरा पहुंच कर हालात का जायजा लिया। इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आगरा के कमिश्नर प्रदीप भटनागर को जांच अधिकारी नामित किया गया है।

मथुरा में कल के बवाल के बाद आज भी जवाहरबाग में पुलिस का चेकिंग अभियान जारी है। इसी के बीच प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद, अपर महानिदेशक कानून-व्यवस्था दलजीत चौधरी तथा प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा मथुरा पहुंच गये हैं। आज ही पुलिस लाइन में सभी शहीद पुलिसकर्मियों को सलामी तथा श्रद्धांजलि दी जायेगी। उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है।

आपको बता दें, राजकीय उद्यान को खाली कराने पहुंची पुलिस और डीएम पर अराजक कथित सत्याग्रहियों ने गोलियों की बौछार कर दी। एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव शहीद हो गए।

तथाकथित सत्याग्रही तीन सिपाहियों को खींच ले गए, जिनका कोई पता नहीं चला है। वहीं, धमाकों और गोलियों से दो दर्जन सत्याग्रही भी घायल हुए हैं। कथित सत्याग्रहियों का नेता रामवृक्ष यादव मारा गया बताया जा रहा है, इससे पहले उसने अपने कार्यालय और अन्य डेरों को आग लगा दी, जिनमें रखे गैस सिलेंडर फटने से पूरा जवाहरबाग आग के आगोश में घिर गया।

मथुरा में हिंसक प्रदर्शन के दौरान मारे गए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी

पिछले दो साल से मथुरा के 80 एकड़ में फैले राजकीय उद्यान जवाहर बाग में कब्जा जमाए स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ ऑपरेशन की तैयारियां लखनऊ से विचार-विमर्श के साथ अप्रैल से चल रही थीं। गुरुवार दोपहर डीएम राजेश कुमार एवं एसएसपी राकेश सिंह ने प्रेस वार्ता कर ऑपरेशन शुरू करने की बात कही। गुरूवार की शाम को पुलिस और सुरक्षाबलों को लेकर अफसरों ने जवाहरबाग घेर लिया और अंदर घुस गए।

पुलिस ने माइक के जरिए उनसे बाहर जाने को कहा, लेकिन कथित सत्याग्रहियों ने जबरदस्त प्रतिरोध किया। पेड़ों पर बंदूक, रायफल और तमंचे लेकर बैठे लोगों ने पुलिस पर ताबड़तोड़ फायङ्क्षरग कर दीं, इसके लिए पुलिस तैयार नहीं थी। कई पुलिस वाले घायल होकर गिरते चले गए। पुलिस ने जवाब में आंसू गैस, रबर बुलेट दागीं परंतु यह देख नीचे जमे सैकड़ों सत्याग्रहियों ने पुलिस पर देसी और पेट्रोल बमों से हमला बोल दिया। बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी लाठी-डंडे लेकर पुलिस पर हमलावर हो गए। सत्याग्रहियों के मुखिया रामवृक्ष यादव, चंदन बोस और सुरक्षा कमांडर गिरीश कुमार ने एक साथ पुलिस पर टूट पडऩे को कहा।

इस बीच एक गोली ऑपरेशन में शामिल एसओ फरह संतोष यादव की आंख में और दो एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के सिर में लगीं। संतोष यादव को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के भी सिर में दो गोलियां लगीं। अस्पताल में देर रात उनका ऑपरेशन किया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उधर, बाग में फोर्स ने भी सत्याग्रहियों को निशाना बनाकर फायङ्क्षरग शुरू कर दी। इसी बीच, रामवृक्ष यादव ने अपने कार्यालय में आग लगा दी और भाग निकला। इसके बाद सत्याग्र्रहियों ने एक-एक करके सभी तंबू डेरों को आग के हवाले कर दिया। उनके अंदर रखे रसोई गैस सिलेंडर धमाके के साथ फटने लगे। डीजल-पेट्रोल के ड्रम भी आग का गोला बनकर हवा में उड़ते नजर आए। जवाहर बाग के ऊपर धुएं के काले बादल छा गए और आग की लपटें भी बीस से पच्चीस फीट तक ऊंची उठने लगी। साथ में गोलियों की तड़तड़ाहट भी जारी थी।

कथित सत्याग्रहियों में भगदड़ मच गई और उन्होंने लोक निर्माण विभाग कार्यालय के पीछे की दीवार को तोड़ दिया और इधर-उधर भगने लगे थे। अधिकांश महिला, बच्चे और बुजुर्गों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके बाद कथित सत्याग्रहियों ने कलक्ट्रेट पर जमा लोगों पर हमला बोल दिया। जवाब में भीड़ ने कथित सत्याग्रहियों के डंडे छीन कर उनके ऊपर बरसाना शुरू कर दिया। सीओ सिटी चक्रपाणि त्रिपाठी ने भीड़ से सत्याग्रहियों को बचाकर सुरक्षित निकाला।

सत्याग्र्रहियों के हमले में डेढ़ दर्जन पुलिसकर्मी भी घायल होने पर अस्पताल ले जाए गए। कार्रवाई में 15 सत्याग्रही भी घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया। कथित सत्याग्रहियों के लिए कहा जाता है कि यह लोग बाबा जयगुरुदेव आश्रम पर काबिज लोगों के विरोधी गुट से जुड़े हुए हैं, लेकिन विरोधी गुट इससे इन्कार करता रहा है।

सुरक्षाबलों और पब्लिक ने जवाहरबाग में कथित सत्याग्रहियों के ठिकानों में आग लगा दी। इससे पूरा बाग जल उठा। इनका नेता रामवृक्ष यादव और अंदर के लोग पीछे के गेट से भाग गए। मुख्यमंत्री ने शहीद दारोगा के आश्रितों को बीस लाक रुपए देने की घोषणा की और मामले की जांच आगरा के कमिश्नर को सौंपी है।

पिछले दो साल से राजकीय उद्यान जवाहर बाग में कब्जा जमाए कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ ऑपरेशन की तैयारियां अप्रैल से चल रही थीं। यह सब दो रुपये लीटर पेट्रोल जैसी फिजूल मांगें कर रहे थे। आला अधिकारी से लेकर शासन तक पल-पल की रिपोर्ट भेजी जा रही थी। आज दोपहर डीएम राजेश कुमार एवं एसएसपी राकेश सिंह ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर ऑपरेशन किसी भी क्षण शुरू करने की बात कही।

सायं करीब सवा पांच बजे सुरक्षाबलों को लेकर अफसरों ने जवाहरबाग को चारों ओर से घेर लिया और अंदर घुस गए। वहां जमे कथित सत्याग्रहियों ने नारेबाजी करते हुए जबरदस्त प्रतिरोध किया और हथियारों के साथ पुलिस बल पर टूट पड़े। पुलिस बल के अंदर प्रवेश करते ही मोर्चा संभाल कर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी फायर खोल दिए। इसके बाद गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच ही जवाहरबाग से विस्फोट के धमाके होने लगे। कथित सत्याग्रहियों की ओर से जबरदस्त फायरिंग के आगे सुरक्षा बल के जवान संभल नहीं पाए और घायल हो गए।

ऑपरेशन में शामिल एसओ फरह संतोष यादव की आंख और एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के सिर में दो गोलियां लगीं। एसओ संतोष यादव को स्वर्ण जयंती हॉस्पीटल में मृत घोषित कर दिया। पुलिस अफसरों के घायल होते ही अफरातफरी मच गई। आधा दर्जन पुलिसकर्मी भी घायल होने पर अस्पताल ले जाए गए। सुरक्षा बलों और कथित सत्याग्रहियों में संघर्ष जारी रहा। सत्याग्रही पेड़ों पर चढ़कर फायरिंग कर रहे थे।

गोलियों के बीच जवाहरबाग से धमाके भी हो रहे थे। सुरक्षा बल बाग में कथित सत्याग्रहियों के ठिकाने की ओर बढ़ रहे थे, तभी वहां आग लगा दी गई। महिलाएं और बच्चे दहशत के मारे भागने लगे। शाम करीब सात बजे तक घायल एक दर्जन जवान अस्पतालों में भर्ती कराए जा चुके थे। ऑपरेशन जवाहरबाग के लिए बढ़ाई गई फोर्स के बाद सत्याग्रही फायरिंग रोकने की अपील माइक से करने लगे। कार्रवाई के पहले दौर में 6 सत्याग्रही भी गोली लगने से घायल हुए हैं। कार्रवाई को लेकर पूरे शहर में अफरातफरी का माहौल और अफवाहों का बाजार गर्म है।

मथुरा में नियंत्रण के लिए भेजी फोर्स

मथुरा में एसएचओ की मौत के बाद तीन कंपनी अतिरिक्त पीएसी लखनऊ से भेजी गयी है। 12 कंपनी पीएसी पहले से ही मौजूद थी। जोन और रेंज के वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करते हुए गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र और एडीजी एलओ दलजीत सिंह चौधरी को मथुरा भेजा गया है। प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा और डीजीपी जावीद अहमद ने मथुरा की स्थिति की लगातार जानकारी ली। अफसरों ने कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। एडीजी और गृह सचिव के देर रात वहां पहुंचने की संभावना है। मथुरा की इस घटना ने सरकार की पेशानी पर बल ला दिया है। कानून का उल्लंघन करने के साथ ही हमले से पुलिस का इकबाल ध्वस्त हुआ है।

कौन हैं मुकुल द्विवेदी

मुकुल द्विवेदी ने बीएससी और एमएससी की डिग्री आगरा से ली थी। 1998 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे। साल 2000 में प्रमोशन के बाद डिप्टी एसपी बने। तीन फरवरी 2016 को मथुरा में एडिशनल एसपी बनकर आए थे। एसपी मुकुल द्ववेदी के दो बेटे हैं जो बरेली में पढ़ते हैं और इस वक्त गर्मी छुट्टी होने की वजह से दोनों बच्चे माता-पिता के पास मथुरा गए थे। लेकिन अब पूरे परिवार को बच्चों की चिंता सता रही है। एसपी मुकुल के पिता ने कहा मथुरा की पूरी घटना के पीछे सरकार की नाकामी है।

ऑपरेशन के सवा तीन घंटे

गुरुवार 4.30 बजे : प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई4.40 बजे: पुलिस ने जवाहर बाग की पीछे की चारदीवारी को तोड़ कर कथित सत्याग्रहियों के निकलने के लिए रास्ता बनाया5.00 बजे: जवाहर बाग की घेराबंदी की कार्रवाई शुरू की गई5.11 बजे: मथुरा और आगरा के बीच का मार्ग बंद कर दिया गया5.15 बजे: डीएम राजेश कुमार और एसएसपी डॉ. राकेश कुमार फोर्स के साथ जवाहर बाग के मुख्य गेट से अंदर घुसे5.25 बजे: पेड़ों पर बैठे हथियारबंद कथित सत्याग्रहियों ने जवाहरबाग पर गेट के अंदर दाखिल होते ही फोर्स पर गोलियां दागनी शुरू कर दी।5.30 बजे: पुलिस ने कथित सत्याग्रहियों को आत्म समर्पण करने के लिए कहा।5.40 बजे: एसओ फरह संतोष यादव दो गोलियां लगीं।5.50 बजे: एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी समेत सात-आठ सिपाही सत्याग्रहियों की गोली से घायल।6.00 बजे: घायलों को एंबुलेंस और अधिकारी अपनी गाडिय़ों में डालकर अस्पताल लेकर भागे।6.30 बजे: घायलों को जिला अस्पताल, स्वर्ण जयंती, नयति अस्पताल भेजा गया।6.30 बजे: कथित सत्याग्रहियों ने अपने कैंपों में लगाई आग, देशी बम चलाए।6.32 बजे : कथित सत्याग्रहियों की मुख्य गेट पर सड़क किनारे रखे झोपड़ी में आग लगाई।6.35 बजे: कथित सत्याग्रहियों ने अपने देशी बम और बारुद के गोदाम में लगाई आग।6.42 बजे: जवाहर बाग में तने तम्बू डेरों से उठने लगी आग की पलटे, रसोई गैस सिलेंडर धमाकों के साथ फटने लगे।6.46 बजे: संपूर्ण जवाहर बाग में आग की चपेट में आ गया6.47 बजे: कथित सत्याग्रहियों ने माइक से की फायङ्क्षरग रोकने की घोषणा, बच्चे, महिला और बुर्जुगों के घायलों होने की दी सूचना6.49 बजे: कथित सत्याग्रहियों में मची भगदड़। जवाहर बाग से एसएसपी कार्यालय होकर डंडे-झंडे, सामान को छोड़कर भागे सत्याग्रही6.50 बजे: एसओ संतोष यादव के शहीद होने की खबर आई।7 बजे: जवाहर बाग ऑपरेशन समाप्त, एसएसपी फोर्स के साथ जवाहर बाग से निकले7.30 बजे: डीएम राजेश कुमार फोर्स के साथ जवाहर बाग से बाहर आए7.40 बजे: डीएम ने कलक्ट्रेट का राउंड लिया। घायल पुलिस कर्मियों और सत्याग्रहियों को इलाज के लिए जिला अस्पताल से नयति अस्पताल के लिए रेफर कराया।7.45 बजे: डीएम ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ऑपरेशन जवाहर बाग की जानकारी दी, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह को भी अवगत कराया

सत्याग्रहियों पर मुकदमों की लंबी फेहरिस्त

17 जून 2011 को बाबा जयगुरुदेव आश्रम निवासी रवि, सुरेशचंद्र पर कथित सत्याग्रहियों का हमला। इनके नेता रामवृक्ष यादव निवासी रामपुर बागपुर थाना मुरगढ़ जिला गाजीपुर समेत 15 लोगों नामजद और सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ जानलेवा हमला कर बलवा, मारपीट और धमकी दिए जाने का मुकदमा दर्ज।7 जून 14 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने की रिपोर्ट 250 कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।15 जून 14 को ठेकेदार जयप्रकाश ने पेड़ों फल तोडऩे, काटने और जान से मारने की धमकी दिए जाने की रिपोर्ट थाना सदर बाजार में कराई थी।24 सितंबर 14 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रिपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।2 अक्टूबर 2013 को जवाहर बाग संरक्षण अधिकारी किशन ङ्क्षसह ने गाली-गलौज करके सरकारी कार्य में बाधा डालना और सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने की रामवृक्ष समेत उनके समर्थकों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।29 नवंबर 14 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई।22 जनवरी 15 को थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय ने सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रिपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।15 जून 2015 को सहायक उद्यान निरीक्षक जवाहर बाग रामस्वरूप शर्मा ने बलवा करने, गाली-गलौज करने, सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने और धमकी देने की रिपोर्ट स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रही पूर्वी प्याऊ तोरी सागर मध्यप्रदेश के मुखिया रामवृक्ष यादव समेत 150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।15 जून 2015 को सहायक उद्यान निरीक्षक जवाहर बाग संपत्ति निरीक्षक रामस्वरूप शर्मा ने बलवा करने, गाली-गलौज करने, सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने और धमकी देने की रिपोर्ट स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रही पूर्वी प्याऊ तोरी सागर मध्यप्रदेश के मुखिया रामवृक्ष यादव समेत 150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।27 मई 15 को जवाहरबाग में तैनात कर्मचारी जगदीश प्रसाद ने रामवृक्ष यादव, चंदनबोस समेत 20 लोगों को नामजद करते हुए 100-150 लोगों के खिलाफ मारपीट कर जवाहर की संपत्ति पर कब्जा करने की रिपोर्ट थाना सदर में दर्ज कराई थी।16 मार्च 2016 को कलेक्ट्रेट कर्मचारी देवी सिंह ने रामवृक्ष यादव समेत अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट करने और धमकी देने का रिपोर्ट कराई थी।8 अप्रैल 2016 को तहसील सदर के अमीन चंद्रमोहन मीना और मोतीकुंज निवासी अजय प्रताप मीणा ने रामवृक्ष यादव, चंदन बोस समेत 250 लोगों के खिलाफ थाना सदर बाजार में बलवा करने, अपहरण करने, मारपीट करने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और जानलेवा हमला करने की रिपोर्ट कराई थी। ये घटना चार अप्रैल की थी।4 अप्रैल 2016 को अधिवक्ता राकेश कुमार ने बलवा करके तहसील परिसर में लूटपाट करने का रामवृक्ष यादव, चंदनबोस 200-250 लोगों के खिलाफ थाना सदर में मुकदमा दर्ज कराया था।4 अप्रैल 2016 को तहसील सदर में तैनात लेखपाल नितिन चतुर्वेदी ने तहसील परिसर में घुसकर बलवा करने, लूटपाट और धमकी देने के साथ-साथ सरकारी कार्य में बाधा डालने का रामवृक्ष यादव, चंदनबोस समेत 200-250 लोगों के खिलाफ थाना सदर में मुकदमा दर्ज कराया था।