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पत्रकार मर्डरः 'सीवान जेल से ही मिले थे रंजन की हत्या के ऑर्डर'

सत्ताधारी आरजेडी के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन पर
सीवान (बिहार) में हुए पत्रकार हत्याकांड में शामिल होने के
आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों की कड़ी में अब एक नया तथ्य जुड़
गया है कि पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के निर्देश करीब पंद्रह
दिन पहले सीवान जेल से ही मिले थे। यह बयान है कि इस मामले में
हिरासत में लिए गए उपेन्द्र सिंह का, जो पहले शहाबुद्दीन के लिए
ही काम करते थे। साथ ही इस बात की पुष्टि हुई है कि रंजन ने ही
बिहार के मंत्री अब्दुल गफ्फूर और शहाबुद्दीन की जेल में मुलाकात
की तस्वीरें लीक की थीं।
गौरतलब है कि, शहाबुद्दीन भी फिलहाल सीवान जेल में ही हैं।
इसके साथ-साथ बिहार के विपक्षी नेता सुशील कुमार मोदी ने
रविवार को इस बात की पुष्टि की मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन
ने ही बिहार के मंत्री अब्दुल गफ्फूर और शहाबुद्दीन की जेल में
मुलाकात की तस्वीरें सार्वजनिक की थीं। आरजेडी नेता अब्दुल
गफ्फूर बिहार सरकार में मंत्री हैं।

उपेन्द्र से हुई पूछताछ के आधार पर, पुलिस सीवान जेल से हाल ही में
रिहा हुए 3 कैदियों की तलाश कर रही है। कथित तौर पर यह
बताया गया कि इन अपराधियों को ही राजदेव रंजन की हत्या
करने के लिए कहा गया था। सूत्रों के मुताबिक, उपेन्द्र ने ही अपने
बयान में इस बात का खुलासा किया कि रिहा हुए 3 अपराधियों
में से एक ने उससे हथियारों के इंतजाम के लिए संपर्क किया था
लेकिन उसने मदद करने से इनकार कर दिया था।
उपेन्द्र एक वक्त पर शहाबुद्दीन का शूटर था और वह बीजेपी नेता
श्रीकांत भारती की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी है। भारती
की हत्या नवंबर, 2014 में हुई थी और इस मामले में उपेन्द्र को जून,
2015 में गिरफ्तार भी किया गया था। हालांकि, नवंबर, 2015 से
वह बेल पर बाहर हैं और फिलहाल रंजन की हत्या के मामले में उनसे
पिछले 2 दिनों से पूछताछ की जा रही है।

सिवान के पुलिस अधीक्षक सौरभ
शाह ने जानकारी दी कि रंजन
की हत्या की साजिश करीब 15
दिन पहले ही रची गई थी और उनकी हत्या पूरे योजना के तहत की
गई। उन्होंने बताया कि इलाके के आस-पास के 3 सीसीटीवी
कैमरों में, एक इलाके के कुछ हिस्से को ही कवर करता है, दूसरे के
फुटेज ही स्पष्ट नहीं हैं और तीसरे सीसीटीवी में सिर्फ 10 मई तक
के ही रेकॉर्ड्स हैं।
शाह का कहना है कि तीसरे सीसीटीवी के रिकॉर्डर पटना के
एफएसएल एक्सपर्ट्स हैं और बहुत जल्द उनके हवाले से यह पता चल
जाएगा कि हटाया गया डेटा वापस लिया जा सकता है या
नहीं। अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो रेकॉर्ड्स एफएसएल की
हैदराबाद यूनिट को भेज दिए जाएंगे। इसके अलावा उनके जरिए
पता चला कि अपराधियों ने बंदूकों के साथ साइलेंसर का
इस्तेमाल नहीं किया था और स्थानीय लोगों ने गोली के चार
राउंड्स की आवाजें सुनी थीं। मौके से गोली के दो खोखे भी
बरामद हुए हैं।